Book Title: Tattvartha raj Varttikalankara
Author(s): Gajadharlal Jain, Makkhanlal Shastri
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
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तराना भाषा
OBHA
अध्याय
ISALA5
लोकपाल हैं। इन चारों लोकपालों से प्रत्येक लोकपालके सौ सौ सामानिक देव हैं। बचीस बचीस देवियां हैं। चार चार पट्टदेवी और तीन तीन सभा हैं। जातु सभाके देवोंकी जो आयु कह आये हैं उतनी 18 | आयुका धारक तो वैश्रवण लोकपाल है। उससे कम आयुका धारक वरुण लोकपाल है। उससे कम
आयुके धारक सोम और यम लोकपाल हैं। सोम और यम लोकपालोंकी अभ्यंतर सभाओंमें तीन २ । ॥ देव हैं। मध्यसभाओंमें बारह बारह देव हैं और वाह्य सभाओंमें पच्चीस पच्चीस देव हैं। वरुणकी अभ्य| तरं सभामें पांच देव हैं। मध्यसभामें पच्चीस देव हैं और वाह्य सभामें पचाप्त देव हैं वैश्रवणकी अभ्यंतर
सभामें छह देव हैं। मध्यसभामें पचास देव हैं और वाह्य सभामें सौ देव हैं। उनकी क्रमसे इक्कीस सागर, कुछ कम इक्कीस सागर और साढे वीस सागर प्रमाण आयु है । अर्थात्-अभ्यंतर सभामें रहनेवाले | देवोंकी आयु इकोस सागरको है । मध्यसभामें रहनेवाले देवोंकी कुछ कम इक्कीस सागरकी है एवं वाह्य | सभामें रहनेवाले देवोंकी साढे बीस सागरकी है । तथा कूमसे सात पांच और तीन देवियां हैं अर्थात् | है। अभ्यंतर सभामें रहनेवाले प्रत्येक देवके सात सात देवियां हैं। मध्यसभामें रहनेवाले प्रत्येक देवके पांच है। पांच देवियां हैं और वाह्य सभामें रहनेवाले प्रत्येक देवके तीन तीन देवियां हैं।
आरण अच्युत विमानकी उत्तर श्रणिके ग्यारह विमानों से छठे विमानकी कल्प संज्ञा है। उसका | या कुल वर्णन पहिलेके समान है। इसका स्वामी अच्युत नामका इंद्र है। इस अच्युत नामक इंद्रके कुछ || घाटि साढे तीनसै विमान हैं। तेतीस त्रायास्त्रिंश देव हैं। एक हजार सामानिक देव, तीन सभा, सात ६ प्रकारको सेना, एक हजार आत्मरक्ष देव और चार लोकपाल हैं। श्रीमती आदि उपर्युक्त नामोंकी १०७९ का धारक आठ पट्टदेवियां हैं और उनकी पचपन पल्यकी आयु है। वल्लभिका देवियां पंद्रह हैं और उनकी
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