Book Title: Tattvartha raj Varttikalankara
Author(s): Gajadharlal Jain, Makkhanlal Shastri
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
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अध्याव
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नक्षत्र विमानोंकी उत्कृष्ट चौडाई एक कोशकी है। तारका विमानोंकी जघन्य मुटाई एक कोशका ||६||
चौथा भाग है। मध्यम मुटाई कुछ अधिक कोशका चौथा भाग है और उत्कृष्ट आधा कोश प्रमाण है। गाषा IPL समस्त ज्योतिष्क विमानोंकी सबसे जघन्य मुटाई पांचसौ धनुष प्रमाण है । ज्योतिषी देवोंके इंद्र, सूर्य २०२९ और चंद्रमा हैं और वे असंख्याते हैं.॥१२॥
.. · ज्योतिषी देवोंकी गति कहांपर होती है ? सूत्रकार इसविषयका स्पष्टीकरण करते हैं- । |
मेस्प्रदक्षिणा नित्यगतयो नृलोके ॥ १३॥ . सव ज्योतिषी देव मनुष्यलोक अर्थात् ढाई द्वीप और दो समुद्रोंमें सुमेरु पर्वतकी प्रदक्षिणा देते || ६ हुए निरंतर गमनशील हैं।
मेरुप्रदक्षिणवचनं गत्यंतरनिवृत्त्यर्थ ॥१॥ MBIN - सूत्रमें जो मेरुप्रदक्षिण शब्दका उल्लेख किया गया है वह अन्य विपरीत गतिकी निवृचिकेलिये | ॥ है अर्थात् सूर्य चंद्रमा आदि ज्योतिषी देव सदा मेरु पर्वतकी ही परिक्रमा दिया करते हैं अन्यत्र उनकी गति नहीं होती। शंका-'
".. गतेः क्षणे क्षणेऽन्यत्वान्नित्यत्वाभाव इति चन्नाऽऽभीक्ष्ण्यस्य विवक्षितत्वात् ॥२॥ . ___ जो पदार्थ कूटस्थ-हलन चलन क्रियारहित है, जिसप्रकार धर्मास्तिकाय अधर्मास्तिकाय आदि । | उन्हीमें नित्य शब्दकी प्रवृति दीख पडती है किंतु जो क्षणविनाशीक पदार्थ हैं उनके लिए नित्य
शब्दका प्रयोग नहीं किया जाता । गति क्षण क्षणमें अन्य अन्य रूप होनेवाला पदार्थ है उसका नित्य PI यह विशेषण उपयुक्त नहीं हो सकता इसलिए सूत्रमें 'नित्यगतयः ऐसा उल्लेखकर गति शब्दका जो|
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