Book Title: Tattvartha raj Varttikalankara
Author(s): Gajadharlal Jain, Makkhanlal Shastri
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
View full book text
________________
१०रा०
भाषा
९८९
पद्ममहापद्मतिगिंछकेसरिमहापुंडरीकपुंडरीका हदास्तेषामुपरि ॥ १४ ॥
उन पर्वतोंके ऊपर पद्म महापद्म तिगिंछ केसरी महापुंडरीक और पुंडरकि ये छह सरोवर हैं । ! अर्थात् हिमवान पर्वतपर पद्म नामका सरोवर है । महाहिमवान् पर्वतपर महापद्म, निषधपर तिगिछ, नीलपर केसरी, रुक्मी पर महापुंडरीक और शिखरी पर्वतपर पुंडरीक नामका सरोवर है । पद्मादिभिः सहचरणाद्धूदेषु पद्मादिव्यपदेशः ॥ १॥
"
- पद्म महापद्मं तिर्गिछ केसरि महापुंडरीक और पुंडरीक ये छह नाम प्रधान प्रधान कमलोंके हैं । इन्हीं कमलोंके साहचर्यसे पद्म आदि सरोवरों के पद्म आदि नाम हैं । अर्थात् पद्म' नामक कमल के संबंध मे : सरोवरका पद्म नाम है, महापद्म नामक कमलके संबंध से महापद्म नाम है । तिछि नामक कमल के संबंघसे तिगिंछ नाम हैं। केसरी नामक कमलके संबंध से केसरी नाम है । महापुंडरीक के संबंध महापुंडरीक और पुंडरीक नामक कमलके संबंध से सरोवरका पुंडरीक नाम है । ये पद्म आदि सरोवर कम से 'हिमवान आदि पर्वतों पर हैं । अर्थात् हिमवान पर्वत के ऊपर पद्म नामका सरोवर है। महाहिमवान के ऊपर महापद्म नामका सरोवर है इसीप्रकार सूत्रके सामान्य अर्थ में लिखी हुई रीति के समान आगे भी 'समझ लेना चाहिये ।
पद्म नामक प्रथम सरोवर के संस्थान की विशेषतां प्रतिपादन करने के लिए सूत्रकार सूत्र कहते हैं'प्रथमो योजनसहस्रायामस्तदर्धविष्कंभो हृदः ॥ १५ ॥
!
पद्म आदि सरोवरों में पहिला पद्म सरोवर पूर्व से पश्चिम तक एक हजार योजन लंबा है और उससे आधा पांचसौ योजन उत्तर से दक्षिण तक चौडा है ।
अध्याय
eet