Book Title: Tattvartha raj Varttikalankara
Author(s): Gajadharlal Jain, Makkhanlal Shastri
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
View full book text
________________
अपा
PRORSHACHECEMBERROREASSASS
|सामान्यरूपसे सबही प्राणियोंके होने का प्रसंग आया इसलिये किन जीवोंके कौन कौन जन्म होते हैं ? | सूत्रकार इसबातका खुलासा करते हैं
जरायुजांडजपोतानां गर्भः॥३३॥ जरायुज अंडज और पोत इन तीनप्रकारके जीवोंका गर्भजन्म होता है।
- जालवत्प्राणिपरिवरणं जरायुः॥१॥ जालके समान चारो ओरसे जो जीवका ढकनेवाला हो और जिसके चारो ओर मांस और रक्त हो वह जरायु कहा जाता है। ।
शुक्रशोणितपरिवरणमुपात्तकाठिन्यं नखत्वक्सदृशं परिमंडलमंडं ॥२॥ का जो नखकी छालके समान कठिन हो, वीर्य और रजसे आच्छादित हो और गोलाकार हो उसका नाम अंड है।
संपूर्णावयवः परिस्पंदादिसामोपलक्षितः पोतः॥३॥ बिना किसी आवरणके ही जिसके शरीरके अवयव पूर्ण हों और योनिसे निकलते ही जो हलन चलन करनेमें समर्थ हो उसका नाम पोत है । जो जीव जरायुमें उत्पन्न हों वे जरायुज और जो अंडेसे पैदा हों वे अंडज हैं अर्थात-जो जीव जालके समान मांस और रुधिरसे व्याप्त एक प्रकारकी थैलीसे लिपटे हुए पैदा होते हैं उनको जरायुज कहते हैं। माताके रज और पिताके वीर्यसे बने हुए नखकी | त्वचाके समान कठिन गोलाकार आवरणरूप अंडेसे जो उत्पन्न हों वे अंडज कहे जाते हैं और जिनके ऊपर जरा वा अंडा कुछ भी आवरण नहीं होता, माताके उदरसे निकलते ही जो चलने फिरने लगते
BABPLEGISTERESTROPIERROPORN
|७१२