Book Title: Tattvartha raj Varttikalankara
Author(s): Gajadharlal Jain, Makkhanlal Shastri
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
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अध्याय
RANIORacinar
दूमरी शर्करा प्रभा भूमिमें ग्यारह पाथडे वतलाये हैं उनमें पहिले पाथडेमें जघन्य स्थिति एक है समय अधिक एक सागर प्रमाण है । उत्कृष्टस्थिति एक सागर और एक सागरके ग्यारह भागोंमें दो । भाग है। एवं अजघन्योत्कृष्ट स्थिति समयोचर है। दूसरे पाथडेमें नारकियोंकी जधन्यस्थिति एक सागर
और एक सागरके ग्यारह भागोंमें दो भाग प्रमाण है । उत्कृष्ट स्थिति एक सागर और एक सागरके । 5 ग्यारह भागोंमें चार भाग प्रमाण है । अजघन्योत्कृष्ट मध्यमस्थिति समयोचर है । तीसरे पाथडेमें नार-3 कियोंकी जघन्यस्थिति एक सागर और एक सागरके ग्यारह भागोंमें चार भाग प्रमाण है । उत्कृष्टस्थिति एक सागर और एक सागरके ग्यारह भागोंमें छह भाग प्रमाण है । अजघन्योत्कृष्ट मध्यमस्थिति समयोचर है। चौथे पाथर्डमें नारकियोंकी जघन्यस्थिति एक सागर और एक सागर के ग्यारह भागों में छह है भाग प्रमाण है। उत्कृष्टस्थिति एक सागर और एक सागरके ग्यारह भागों में आठ भाग प्रमाण है।
अजघन्योत्कृष्ट मध्यमस्थिति समयोचर है । पांचवे पाथडेमें नारकियोंकी जघन्यस्थिाते एक सागर 1 और एक सागरके ग्यारह भागोंमें आठ भाग प्रमाण है। उत्कृष्टस्थिति एक सागर और एक सागरके 3 ग्यारह भागोंमें दश भाग प्रमाण है।अजघन्योत्कृष्ट मध्यमस्थिति समयोत्तर है। छठे पाथडेमें नारकि। योंकी जघन्यस्थिति एक सागर और एक सागरके ग्यारह भागोंमें दश भाग प्रमाण है । उत्कृष्टस्थिति * दो सागर और एक सागरके ग्यारह भागोंमें एक भाग है। अजघन्योत्कृष्ट मध्यमस्थिति समयोचर एं है। सातवे पथडेमें नारकियोंकी जघन्यस्थिति दो सागर और एक सागरके ग्यारह भागोंमें एक भाग
है। उत्कृष्टस्थिति दो सागर और एक सागरके ग्यारह भागोंमें तीन भाग प्रमाण है। अजघन्योत्कृष्ट मध्यमस्थिति समयोचर है। आठवे पाथडेमें नारकियोंकी जघन्यस्थिति दो सागर और एक सागरके
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