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* पार्श्वनाथ चरित्र *
ही उसने वहांसे चलनेका विचार किया, त्यों ही दरवाजेके छिद्रसे सर्प वहां आता हुआ दिखायी दिया । सर्पकी गतिविधि देखनेके लिये महाबल वहीं छिप रहा । सर्प धोरे-धीरे अन्दर आया और रानीके नीचे लटकते हुए केशकलाप द्वारा ऊपर चढ़, सोती हुई रानीके कपाल और हाथमें डसकर वहांसे चलता बना। महाबलसे अब न रहा गया। उसने भी चुपचाप दरवाजा खोल कर उसका पीछा किया। सर्पने महलसे नीचे उतर कर एक बेलका रूप धारण कर लिया । द्वारपालने जब उसे देखा, तब वह एक दण्ड लेकर उसे खदेड़ने लगा । किन्तु बैल उसे देखतेही बिगड़ गया और अपने सींगों द्वारा उसे भो पटककर वहीं मार डाला । महाबल इस समय भी उसके पीछे ही था । उसने अब उस बैलकी पूंछ पकड़ ली और दपट कर पूछा - " अरे ! तू कौन है और किस कारण से तूने इन लोगोंको मार डाला ? साथ ही यह भी बता कि अब तू क्या करना चाहता है ?”
मनुष्यकी वाणीमें
महाबलकी यह बात सुनकर उस बैलने उत्तर दिया – “हे भद्र ! मेरी बात सुन । मैं नागकुमार देव हूँ । यह दोनों मेरे पूर्वजन्मके बेरी थे। मैं रानी और द्वारपाल - दोनों को मारनेके लिये ही यहां आया था ।” महाबलने कहा - " हे सुन्दर ! तब कृपाकर मुझे भी बता कि मेरी मृत्यु किस प्रकार और किसके हाथसे होगी ?” नागकुमार ने कहा – “मैं तुझे यह बतला सकता हूं किन्तु यह जानकर तुझे पश्चाताप होगा, अतएव इसका न जाननाही अच्छा है ।" नागकुमारकी यह बात सुनकर महाबलकी