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* पार्श्वनाथ चरित्र
भी उसीकी बातों को पुष्टि मिलती है अतएव यही मेरी असली माता होनी चाहिये, किन्तु फिर भी एक बार केवली भगवानके पास जाकर पूछ आना चाहिये, ताकि किसी प्रकारका सन्देह न रहे। ____ यह सोच, कुमार अपनी दोनों माताओं और पिताको साथ लेफर हेमपुरमें केवली भगशनको वन्दन करने गया। वहां केवली भगवानको नमस्कार कर, वह सपरिवार मुनिका धर्मोंपदेश सुनने लगा। दूसरी ओर हेमप्रभ राजा भी अपने नगरजनोंके साथ वहां आ पहुंचा और भगवानका उपदेश सुनने लगा। धर्मोपदेश समाप्त होनेपर हेमप्रभने मौका देखक र केवलीसे पूछा- "स्वामिन् ! मेरी पत्नीका हरण किसने किया है ?" केष. लीने कहा,-"राजन् ! यह उसके पुत्रका ही काम है। उसीने उसका हरण किया है।" मुनिको यह बात सुन राजाको बड़ाही आश्चर्य हुआ। उसने कहा,-"भगवन् ! मेरी उस पत्नीके तो पुत्र ही न था। एक पुत्र हुआ था, किन्तु उसकी मृत्यु तो पहले ही हो गयी थी।” केवली भगवानने कहा,- “यह ठीक है, किन्तु मैंने जो बात कही है, उसमें सन्देहके लिये कोई स्थान नहीं है।" यह कह केवली भगवानने राजाको सब पूर्व वृत्तान्त कह सुनाया और अन्तमें बतलाया कि इस उद्यानमें वह कुमार, आपकी रानी तथा कुमारके पालक माता पिता भी उपलित हैं।
केवली भगवानकी बातों से राजा, रानी और कुमारका सारा सन्देह दूर हो गया। राजा खड़ा होकर इधर उधर कुमारकी