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ध्यानसे पढ़िये। पुण्य और कीर्ति उपार्जन कर अपना नाम
अमर कीजिये। हमारे कार्यालय से प्रति वर्ष जैन साहित्यकी उत्तमोत्तम छोटी-मोटी सात-आठ पुस्तकें प्रकाशित हुआ करेंगी। जिनमें सरल, शुद्ध हिन्दी भाषा रहेगी। एवं उत्तमोत्तम भावपूर्ण मनोहर वित्र भी निवेशित किये जायेंगे। जिनके देख जानेसे पुस्तकोंका सारा विषय बायस्कोपकी तरह आंखोंके सामने घूमने लगेगा। अतएव किसी साहित्यानुरागी धर्म-प्रेमी जैन बन्धुको अपने माता, पिता, भाई, बहिन प्रभृतिके स्मणार्थ ज्ञान-प्रचारके कार्यमें कुछ भी रकम लगाकर पुण्य प्राप्त करना हो तो हमारी प्रकाशित होनेवाली पुस्तकोंमें, जिसको वे पसन्द करेंगे, उसमें उनका नाम तथा फोटो-चित्र देकर जैन समाजमें साधर्मिक बन्धु ओंको उपहार-भेंट देनेको व्यवस्था कर उनकी मनोकामना पूर्णकर दी जायगी। आशा है, हर एक जैन बन्धु हमारे निवेदनकी मोर लक्ष देकर इस व्यवस्थासे लाभ ग्रहण करते हुए हमें अनुग्रहीत करेंगे।
पता-पण्डित काशीनाथ जैन। अध्यक्ष-आदिनाथ हिन्दी-जैन साहित्यमाला ।
मु० बंबोरा, पोष्ट भोण्ड (नीमच-मेवाड़ )