Book Title: Parshwanath Charitra
Author(s): Kashinath Jain Pt
Publisher: Kashinath Jain Pt

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Page 600
________________ (६) साहित्यमालाकी ओरसे जितनी पुस्तकें प्रकाशित हुआ करेंगी, उनमें गंदी, अश्लील तथा सांप्रदायिक खण्डनमण्डनके विषयकी अथवा गच्छ सम्बन्धी चर्चाओंकी कोई पुस्तक प्रकाशित न की जायगी। (७) इस साहित्यमालामें जो पुण्यशाली, साहित्यप्रेमी सजन एक मुश्त ५००० पांच हजार रुपैये देकर सहायता करेंगे वे साहित्यमालाके माननीय "संरक्षक" माने जायगे। एतदर्थ उनके सम्मानके निमित्त साहित्यमाला अपनी ओरसे प्रकाशित हर एक पुस्तकमें संरक्षक महोदयका चित्र यानी फोटो देती रहेगी। तथा उनकी सेवामें प्रत्येक पुस्तककी तीन-तीन प्रतिये भेंट दिया करेगी। (८) जो धर्मात्मा सज्जन एक मुश्त दो हजार रुपैये प्रदान कर सहायता पहुंचायेंगे वे साहित्यमालाके "सहायक" समझे जांयगे। इसके उपलक्ष्य में साहित्यमाला अपनी ओरसे प्रकाशित सभी पुस्तकोंके मुखपृष्ठ पर सहायक सज्जनका शुभनाम अंकित फिया करेगी। तथा हर एक ग्रन्थकी दो-दो प्रतियें उनकी सेवामें उपहार दिया करेगी। (६) जो साहित्य-प्रेमी सज्जन इस साहित्यमालामें एक बार १०० ) रुपैये प्रदान करनेकी कृपा करेंगे, वे "आजीवन-सभासद” समझे जायेंगे और उनके शुभनाम साहित्यमालाकी हर एक पुस्तकमें प्रकाशिन हुआ करेंगे। एवं प्रतिवर्ष ८०० या १००० पृष्टके साहित्यकी पुस्तकें प्रकाशित हुआ करगी जिनका मूल्य ६)

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