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सपैयेसे ७॥) रुपैये तकका होगा, वह उनको उपहार प्रदान की जायगी
(१०) जो सज्जन हमारे कार्यालयमें आकर या पोष्ट मनिआर्डर द्वारा १) रुपैया पेशगी जमा करवा देंगे, वे इस साहित्यमालाके "स्थायी ग्राहक" बन सकेंगे। प्रतिवर्ष ६) रुपैयेसे ७॥ साढ़ेसात रुपयेके मूल्यकी पुस्तकें प्रकाशित हुआ करेंगी, जिनकी एक-एक प्रति क्रमशः उनकी सेवामें पौणे मूल्यसे वि० पी० पार्सल द्वारा भेजी जायगी। अगर एक प्रतिसे अधिक मंगवायेंगे तो उसके दाम पूरे लिये जायेंगे।
(११) संरक्षक, सहायक, आजीवन सभासद, और स्थायी प्राहक जो बाहर गांवके होंगे, उनकी पुस्तकोंके भेजनेका डाक बर्च लगेगा, वह उन्हीं सज्जनोंके जिम्मे रहेगा।