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* सप्तम लगं *
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राजाके पास गयी । कौतुकवश वह बालक भी उसके साथ चला गया। उसे देखते ही राजपुरोहितने पूर्ववत् सिर धुनाया । यह देख राजाने सभ्रान्त हो पूछा, – “क्यों पुरोहितजी ! आप सिर क्यों धुना रहे हैं ?" पुरोहितने कहा, “राजन् ! मालिनके साथ यह जो बालक आया है, यह आपके राज्यका अधिकारी होगा । * राजाने पूछा, – “ इसका क्या प्रमाण ?" यह सुन 'मन्त्रीने कहा,सुनिये, मैं आपको सामुद्रिक शास्त्र के लक्षण सुनाता हूं :
उन्नत, लाल और स्निग्ध नख होनेपर सुखदायी होते हैं । सूप जैसे, रुक्ष, भग्न, वक्र और श्वेत नख दुःखदायी होते हैं । पैर में ध्वज, वज्र और अंकुश की सी रेखायें होनेपर राज्य - लाभ होता है। उंगलियां समान, लम्बी, मिली हुई और समुन्नत होने पर भी राज्य प्राप्ति होती है । विस्तृत अंगुष्ट होनेसे दुःख मिलता है और सदा सफर करना पड़ता है ।
हंस, मृग, वृषभ, क्रौंच और सारसकी सी चाल अच्छी होती है, तथा गधा, ऊंट, महिष और श्वानकीसी चाल अशुभ मानी गयी है । काग जैसी जंघाओंसे दुःख होता है। लम्बी जंघाओं से जियादा सफर करनी पड़ती है। अश्वकीसी जंघाओंसे बन्धन होता है और मृगकीसी जंघाओंसे राज्यकी प्राप्ति होती है। हरिण और बाघके समान जिसका पेट हो, वह भोगी होता है । श्वान और शृगालके समान जिसका पेट हो वह अधम होता है और मेंढकके समान पेट हो तो वह पुरुष राजा होता है ।
जिसकी लम्बी भुजायें हो वह कई मनुष्योंका स्वामी होता