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* पार्श्वनाथ-चरित्र है और छोटी भुजायें हो तो वह नौकर होता है । स्वच्छ और रक्त नख, लम्बी उंगलियां और लाल हाथ हो तो लक्ष्मीकी प्राप्ति होती है। जिसके हाथमें शक्ति, तोमर, दण्ड, तलवार, धनुष, चक्र, और गदाके समान रेखायें हो, वह राजा होता है। जिसकी हथेली या पदतलमें ध्वज, वज्र, अंकुश, छत्र, शंख और पद्म आदि की रेखायें हो वह पुरुष धनी होता है । स्वास्तिक होनेपर वह सौभाग्यशाली होता है । मछली हो तो वह सर्वत्र पूजा जाता है। श्रीवत्स होनेपर वाञ्छित लक्ष्मीकी प्राप्ति होती है और दामक होने पर चतुष्पदादिककी प्राप्ति होती है। खंडित या टूटी हुई रेखायें हो तो वह आयुफो अल्पता सूचित करती है। करभकी रेखायें पुत्र सूचक और कनिष्ठाङ्गलीके नीचेकी रेखायें स्त्री सूचक होतो हैं। अंगूठेके मूलकी रेखाओंसे भ्रातृवर्गकी सूचना मिलती है। अंगूठेमें यव होनेपर वह पुरुष उत्तम भक्ष्यका भोगी बनता है
और अन्यान्य सुख भी प्राप्त करता है। हाथमें स्थूल-मोटी रेखायें हो तो दरिद्री होता है और पतली रेखायें हो तो धन सम्पन्न होता है। ___जिसे पूरे बत्तीस दांत हो तो वह राजा, एकतीस हो तो वह भोगी, तीस हो तो वह सुखी और इससे कम हो तो वह दुःखी होता है। कमलके पत्र समान लाल, सूक्ष्म और सुशोभित जीभ उत्तम मानी जाती है। जिसकी नाक शुक जैसी होती है, वह राजा होता है और जिसकी नाक छोटी होती है, वह धार्मिक होता है। अर्धचन्द्र सा ललाट होनेपर राजा, उन्नत होनेपर धर्म