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* पार्श्वनाथ-चरित्र * बारंबार बीतराग-स्तुतिका श्लोक बोलते हुए उसको मृत्यु हो गयी। मृत्यु होनेपर वह उसी नगरके राजपुरोहितकी दासीके यहां पुत्र रूपमें उत्पन्न हुआ।
जिस समय इसका जन्म हुआ, उस समय पुरोहित राजसभामें बैठे हुए थे। उन्हें किसाने जाकर इसके जन्मकी सूचना दी। उस समय उन्होंने लग्न देखा तो लग्नके स्वामासे युक्त, शुभ ग्रहसे अवलोकित, शुभग्रहके बलसे युक्त और तीन उच्च ग्रहोंसे युक्त लग्न देखकर वे चकित हो गये। उन्हें कित होते देखकर राजाने पूछा,-"कैसा लग्न योग है ?" पुरोहितने राजाको एकान्तमें ले जाकर कहा,-"स्वामिन् ! इस समय मेरो दासीको जो पुत्र हुआ है, उसके लग्न योग देखनेसे मालूम होता है कि वही आपके राज्य का अधिकारी होगा।
पुरोहितकी यह बात सुन कर राजाके सिरपर मानो पहाड़ टूट पड़ा। उसने शंकाकुल हो उसी समय सभा विसर्जन कर दी और महलमें जाकर सोचने लगा कि,–“अहो ! यह कैसा विचित्र बात है ? मेरा पुत्र विद्यामान होनेपरभो क्या मर राज्यका अधिकारो यह दासी पुत्र होगा ? किन्तु रोग उत्पन्न होते ही उसे निमूल करना चाहिये। आग लगनेपर कुआ नहीं खोदा जा सकता।” यह सोचकर राजाने तत्काल चण्ड नामक एक सेवकको बुलाकर आज्ञा दी कि पुरोहितकी दासीने आज जिस पुत्रको जन्म दिया है, उसे चुपचाप नगरके बाहर ले जाकर मार डालो ! आज्ञा मिलने भरको देर थी। चण्ड तुरत इस कार्यके