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* चतुर्थ सर्ग *
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पूजन करना (४८) अक्षय तृतीयाके दिन भेट देना (४६) भाद्र मास में कजली तीज और हरितालिकाके दिन देव देवियोंका पूजन करना ( ५० ) आश्विन मास में शुक्ल गोमय तृतीया मनाना । ( ५१ ) अगहन और माघ मास की कृष्ण चतुर्थी - गणेश चतुर्थीके दिन चन्द्रोदय के बाद भोजन करना (५२) श्रावण शुक्ल पंचमीनागपञ्चमीके दिन नाग पूजनादि करना (५३) पञ्चमी आदि तिथियोंके दिन दही मथना और कर्तनादि करना (५४) माघ शुक्ल षष्टीको सूर्यकी रथ यात्रा निकालना ( ५५ ) श्रावण शुक्ल षष्ठोके दिन चन्दन षष्ठी मनाना (५६) भाद्र शुक्ल षष्ठीको सूर्य षष्ठी मनाना (५७) श्रावण शुक्ल सप्तमीको बासी पदार्थ खाना (५८) बुधबार और अष्टमीको केवल गेहूं खाना ( ५६ ) जन्माष्टमीको कृष्णका जन्मोत्सव मनाना ( ६० ) दुर्वाष्टमीको जल में भिगोये और उगे हुए पदार्थ खाना ( ६१ ) आश्विन और चैत्रमासमें नवरात्रि मनाना और नागपूजा एवम् उपवासादि करना (६२) चैत्र और आश्विन की शुक्ल अष्टमी तथा नवमी को गोत्र देवताओंकी विशेष रूपसे पूजा करना (६३) नकुल नवमोको मनाना ( ६४ ) भ्राद्र शुक्लकी अविधवा दशमीको जागरणादि करना (६५) विजया दशमीको शमीपूजन आदि करना (६६) देवशयनी और देवोत्थानी, फाल्गुन और ज्येष्टके शुक्लपक्षको किंवा समस्त एकादशियोंको उपवासादि करना (६७) सन्तानादिके निमित्त बत्स द्वादशी मनाना (६८) ज्येष्ट की त्रयोदशीको ज्येष्टिनी ( जेठानी ) को सत्कुलका दान करना