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* पार्श्वनाथ चरित्र *
डस लिया और इसके कारण उसकी तत्काल मृत्यु हो गयी । मृत्यु होनेपर वह पंकप्रभा नामक चौथी नरक पृथ्वीमें नारकी हुआ । उसके कोई पुत्र नहीं था इसलिये मन्त्रो और अधिकारियोंने सलाहकर युगबाहुके पुत्र चन्द्रयशाको सिंहासन पर बैठाया अनन्तर चन्द्रयशाने राज्यका समस्त भार सम्हाल लिया और बड़ी योग्यता के साथ प्रजाका पालन करने लगा ।
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इस प्रकार मदनरेखा के दोनों पुत्र अलग-अलग राज्यके अधिकारी हुए। किन्तु देव दुर्वपाकसे कुछ दिनोंके बाद एक ऐसी घटना घटित हुई, जिससे दोनोंके बीच घोर संग्राम होनेकी नौबत आ गयी। बात यह हुई कि नमिराजाके यहां एक बहुत ही बलवान और विशालकाय सफेद हाथी था, वह एक दिन अपने बन्धनोंको तोड़कर सुदर्शन पुरकी ओर चला आया। जब वह सुदर्शनपुरको सीमामें पहुंच गया तब लोगोंने चन्द्रयशाको उसके आनेकी सूचना दी। सुनकर कौतूहल वश वह उसे देखने गया और तुरत उसे पकड़ कर अपने साथ ले आया । कुछ दिनोंके बाद अनुचरों द्वारा यह समाचार नमिराजाके पास पहुंचा । चन्द्र यशाकी यह धृष्टता नमिको असह्य हो पड़ी। उसने उसी समय एक दूतको उसके पास भेज कर अपना हाथी वापस मांगा। दूतके पहुंचने पर चन्द्रयशाने उससे कहा - "तेरे स्वामीको क्या मति विभ्रम हो गया है, जो वह हाथीको वापस मांग रहा है । उसने मुझे वह हाथी नहीं दिया है । वह तो ईश्वरको कृपासे स्वयं मेरे पास आया है। तेरे राजाको यह जानना और समझना