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* सप्तम सर्ग*
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दूसरे अणुव्रतके भी पांच अतिचार यह है :--
(१) किसीको झूठा कलंक लगाना ।
(२) एकान्तमें किसीके साथ किया हुआ कोई गुप्त कार्य या रहस्य प्रकट करना।
(३) झूठा उपदेश देना। (४) अपनी स्त्रीको गुप्त-बात प्रकाशित करना। (५) झूठा तौल-नाप करना या असत्य बातें लिखना ।
इनके अतिरिक्त सुज्ञ पुरुषको इन प्रधान पंचकूट ( असत्य) का भी त्याग करना चाहिये। कन्या विषयक कूट, चतुष्पद विषयक कूट, भूमिविषयक कूट; किसीकी रकमको हड़प जाना
और झूठी गवाही देना। ___ तीसरे अणुव्रतके भा पांच अतिचार त्याज्य हैं यथा-(१) चोरीकी चीज लेना (२) चोरको सहायता करना , ३) चुंगी न देना (४) झूठे बटखरे और माप रखना (५) अच्छी और बुरी चीजोंको मिलावट करना। ___ चौथे अणुव्रतके भी पांच अतिचार त्याज्य माने गये हैं। यथा-(१) तनख्वाह देकर दासियोंसे दुराचार करना (२) वेश्या गमन करना (३) अत्यासक हो कामकोड़ा करना (४) लोगोंके विवाह कराते फिरना (५) काम भोगको तीव्र अभिलाषा रखना।
पांचवें परिग्रह परिमाण-अणुवतके भी पांच अतिवार त्याज्य हैं, यथा-(१) धन धान्यके परिमाणका अतिक्रम (२)