________________
wwwwwwwwwwwwmmmmmmmmmmm
पार्श्वनाथ-चरित्र * समय वहां एक हाथी आ पहुंचा। उसको देखकर कुमारको कुछ विन्ता हुई, किन्तु आत्म रक्षाका कोई उपाय करनेके पहले ही उस हाथीने अपनी सूंढसे उसे और उसके मित्रको अपनी पाठपर बैठाकर आकाश मार्गसे अपनी राह ली। सनत्कुमार मौर महेन्द्रसेन उसकी पीठपर बैठे हुए पृथ्वीके विविध दृश्य देखनेमें लीन हो रहे थे। इधर हाथी उड़ता हुआ वैताढ्य पर्वतपर पहुँचा और दक्षिण श्रेणीमें रथनपुर नगरके बाहर एक उपवनमें दोनों कुमारोंको उतार दिया। इसके बाद उस हाथीने नगरमें जाफर राजासे दिवेदन किया कि-“हे स्वामिन् ! मैं आपकी आज्ञानुसार सनत्कुमारको ले आया हूँ। यह सुनकर कमलवेग राजा सपरिवार उस उपवनमें गया और सनत्कुमारको प्रणामकर कहने लगा- "हे स्वामिन् ! मेरे मदनकला नामक एक पुत्री है। उसकी विवाह योग्य अवस्था जानकर मैंने एक नैमित्तिकसे पूछा कि इसका पति कौन होगा ?” नैमित्तिकने आपका नाम बतलाते हुए कहा, कि सनत्कुमार चक्रवर्ती इसका पति होगा। इसीलिये मैंने इस हाथी रूपी विद्यासागरको आपको लिवा लानेके लिये भेजा था। आप यहां आये यह बहुतही अच्छा हुआ। अब सहर्ष नगरमें चलिये और मेरी कन्यासे पाणिग्रहण कीजिये।"
इतना कह कमलवेग बड़ी धूमके साथ सनत्कुमारको नगरमें ले गया और वहां यथाविधि अपनी पुत्रीके साथ उसका व्याह कर दिया। इसी समय अन्यान्य विद्याधरोंने भी अपनी-अपनी कन्याएं उससे व्याह दीं। इस प्रकार सब मिलाकर पांचसौ