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* पार्श्वनाथ-चरित्र
न्त्रोंके साथ उसे समुचे नगरकी सैर करायी। इस प्रकार नगरमें घुमाकर रात्रिके समय वे उसे रानीके महलमें वापस ले आये। इधर रानीने उसके लिये सुकोमल शय्याका प्रवन्ध पहलेहीसे कर रखा था, उसीपर उसे सुलाया और सवेरा होतेही उसने फिर उसके पुराने कपड़े पहनाकर राजाको सौंप दिया। __ तदनन्तर राजा उसे ज्यों ही वधिकके हवाले करने चला त्योंही दूसरी रानीने आकर उसकी याचना की । यह देख राजाने उसकी भी याचना स्वीकार कर ली। उसी समय उसने वसन्तकको घर ले जाकर पूर्ववत् मज्जन, स्नान, भोजनसे उसका आदर-सत्कार किया। इसी तरह पारस्परिक स्पर्धाके कारण अन्यान्य रानियोंने भी राजासे प्रार्थना कर एक-एक दिनके लिये वसन्तकको अपना अतिथि बनाया और विपुल धन न्यय कर नाना प्रकारसे उसके मनोरथ पूर्ण किये। ___ यह पहले ही बतलाया जा चुका है, कि राजाके एक पटरानी और पांच सौ रानियां थीं। इनके अतिरिक्त उसके शीलवती नामक एक और भी रानी थी। वह दुर्भाग्यवश राजाके हृदय पर अधिकार न कर सकी थी। ब्याह के बाद राजाने कभी उसका मुह भी न देखा था। शीलवती यह सब अपने कर्मका हो दोष मानकर सन्तोष धारण करती थी। सभी रानियोंको वसन्तकका आतिथ्य करते देख, उसे भी वही कार्य करने की इच्छा हो आयी। यद्यपि राजाके पास जानेकी उसकी हिम्मत न पड़ती थी, तथापि वह साहस कर उनके पास