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चतुर्थ सर्ग।
आठवाँ भव । इस जंबू द्वीपके पूर्व महाविदेह क्षेत्रमें सुरपुर नामक एक नगर था। वह बारह योजन लम्बा और नव योजन चौड़ा था। उसमें वज्रबाहु नामक राजा राज करता था। वह निष्कलंक, यशस्वी, उदार, गम्भोर, शान्त और गुणग्राही पुरुष था। उसकी रानोका नाम सुदर्शना था। वह भी रूप लावण्य, माधुर्य, चातुर्य, लज्जा
और विनयादि गुणोंसे विभूषित थी। राजा और रानीमें बड़ा ही प्रेम था और वे दोनों आनन्दपूर्वक समय व्यतीत करते थे। ___ वज्रनाभका जीव मध्य अवेयकले च्यवन होकर सुदर्शनाके गर्भ में अवतीर्ण हुआ। जिस समय सुदर्शनाको यह गर्भ रहा उस समय रात्रिके समय रानीको चक्रवर्तीके जन्म सूचक चौदह महास्वप्न दिखायी दिये। रानोने इन स्वप्नोंकी बात राजासे कह सुनायी इसलिये उसने ज्योतिषियोंको बुलाकर स्वप्नोंका फल पूछा। ज्योतिषियोंने विचार कर कहा-“हे राजन् ! आपके एक ऐसा पुत्र