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* पाश्वनाथ-चरित्र * पड़नेकी संभावना रहती है, इसलिये यह भी अभक्ष्य माने जाते हैं।
बैंगन-निद्रा वर्धक और कामोद्दीपक होनेके कारण यह भी अनेक दोषोंको पोषण करता है। अन्य शास्त्र में भी कहा है कि“हे प्रिये ! जो बैंगन, कलींदा और मूली आदिका भक्षण करता है वह मूढात्मा अन्तकालमें भी मुझे स्मरण नहीं कर सकता।"
अज्ञात पुष्प और फल-अज्ञात पुष्प और फल भी इसलिये खाना मना है कि यदि अज्ञानताके कारण कोई निषिद्ध फल खानेमें आय, तो उससे व्रतभंग होनेकी सम्भावना रहती है। इसी तरह कोई विषाक्त फल खानेसे मृत्यु तक होनेकी संभावना रहती है।
तुच्छफल-जामुन, बेर आदि छोटे फल, काममें न लाना चाहिये क्योंकि इनका आकार छोटा होनेके कारण एक ओर जैसी चाहिये वैसी तृप्ति नहीं होती और दूसरी ओर विराधना बहुत अधिक होती है।
चलित रस-सड़ा और बासो अन्न, बासी दूध दही इत्यादि पदार्थोमें अनेक जंतु पड़ जाते हैं, इसलिये यह सब त्याज्य माने गये हैं। अनेक पदार्थों में जन्तु स्पष्ट दिखायी देते हैं किन्तु अनेक पदार्थोंके जन्तु अत्यन्त सूक्ष्म होनेके कारण साधारण दृष्टिसे नहीं दिखायी देते। ऐसे स्थानोंमें शास्त्रको प्रमाण मानना चाहिये । शास्त्रोंमें बतलाया गया है कि मूंग, उड़द प्रभृति द्विदल अन्नमें कच्चा गोरस पड़नेसे उसमें त्रस जीवोंकी उत्पत्ति होती है। दो दिनके बाद दहीमें भी इसी तरहके जन्तु पड़ जाते हैं।