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* पार्श्वनाथ चरित्र
इसे केवल श्रीपुंज और श्रीधर, जिन्होंने रात्रि भोजन त्याग देनेकी प्रतिज्ञा की है, वही आराम कर सकते हैं ।" यह आकाशवाणी सुनते ही सारे नगर में श्रीपुंज और श्रीधरको खोज होने : लगी, किन्तु बहुत खोज करनेपर भी कहीं उनका पता न चला । अन्तमें किसीने बतलाया कि एक गरीब ब्राह्मणके दो छोटे बच्चोंने इसी तरहकी प्रतिज्ञा ले रखी है। संभवतः उनका नाम भी यही है ।" यह सुनतेही राजाके मन्त्रियोंने बड़े आदरसे श्रापुंजको बुला भेजा । श्री पुंजने तीन दिनसे आहार न किया था, किन्तु अपनो प्रतिज्ञापर दृढ़ रहनेके कारण उसे असीम आनन्द हो रहा था । उसने मन्त्री द्वारा सब हाल सुनकर उत्साह पूर्वक उच्चस्वर से कहा--"यदि मेरे रात्रि भोजन त्यागका महात्म्य हो तो, इसी समय राजाकी वेदना दूर हो जाय !” यह कह उसने राजाके पेटपर हाथ फेर दिया । उसके हाथ फेरनेके साथही सारी वेदना न जाने कहाँ चली गयी । श्रीपुंजके इस उपकारसे राजाने सन्तुष्ट हो उसी समय उसे पाँच गांव उपहार दे दिये, साथही राजाने भी रात्रि भोजन त्याग देनेकी प्रतिज्ञा की । इस घटना से श्रीपुंजके माता1- पितापर भी यथोस्ट प्रभाव पड़ा और उन्होंने न केवल अपने पुत्रोंका ही आदर किया, बल्कि उनका अनुकरण कर उन्होंने भी रात्रि भोजन त्याग दिया । इस प्रकार जिन धर्मका प्रभाव बढ़ाकर श्रीपुंजने बहुत दिनों तक सुख उपभोग किया और अन्तमें मृत्यु होनेपर वह श्रीधरके साथ सौधर्म देवलोक में गया। वहां क्रमशः तीनों मित्र सिद्ध हुए ।
तीन मित्रोंके इस उदाहरणसे विवेकी पुरुषोंको शिक्षा ग्रहण