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पार्श्वनाथ-चरित्र : पाप नष्ट होता है और स्वर्ग एवम् मोक्षके सुखोंकी प्राप्ति होती है। पवित्र शील कुलकलंकको दूर करता है। पाप-पंकको क्षीण करता है, सुकृतको बढ़ाता है, प्रशंसाको फैलाता है, देवताओंको झुकाता है, विषम उपसर्गोंका नाश करता है और स्वर्ग तथा मोक्षको क्षण मात्रमें दिलाता है। किसीका यह भी कथन है कि जो ब्रह्मचर्य व्रतमें अनुरक्त होते हैं, वे महातेजस्वी और देवताओंको भी वन्दनीय होते हैं । पर स्त्रोका त्याग करनेवाले पुरुष और परपुरुषका त्याग करने वाली स्त्रियोंको दैव भी अनुकूल हो जाता है। इस सम्बन्धमें सुन्दर राजाकी कथा बड़ी ही उपदेशप्रद है, वह इस प्रकार है।
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सुन्दर राजाकी कथा।
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अंगदेशमें धारापुर नामक एक प्रसिद्ध नगर था। वहां सुन्दर नामक एक सद्गुणी राजा राज्य करता था। उसकी रानीका नाम मदनवल्लभा था। वह परम भाग्यवती और सतो स्वरूपा थी। इस रानीके उदरसे कीर्तिपाल और महीपाल नामक दो पुत्र उत्पन्न हुए थे। राजा, परम न्यायी था और सदा एक पत्नीव्रत पालन करता था । पर स्त्री उसके लिये माता और बहिनके समान