Book Title: Karmagrantha Part 6
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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षष्ठ कर्म ग्रन्थ : गा० ८
दर्शनावरण कर्म के बन्ध, उदय, सत्ता स्थानों का विवरण इस प्रकार समझना चाहिये-...
बंध
उदय
सत्ता
सत्ता ६.६४ अब दर्शनावरण कर्म के बंध, उदय और सत्ता स्थानों के परस्पर संवेध से उत्पन्न भंगों का कथन करते हैं
बीयावरणे नवबंधगेसु चउ पंच उदय नव संता। छच्चउबंधे चैवं चउ बन्धुदए छलसा य॥ ॥ उपरयबंधे 'बउ पण नवंस चउरुवय छच्च चउसंता।।
१ तुलना कीजिए -
विदियावरणे णवबंधगेसु चदुपंच उदय णवसत्ता । छबंधगेस एवं तह चदुबंधे छडंसा य ।। उबरदबंधे चदुपंचउदय णव छम्म सत्त चदु जुगसं ।
--गो० कर्मकांड गा० ६३१, ६३२ टूसरे आवरण (दर्शनावरण) की ६ प्रकृतियों के बंध करने वाले के उदय ५ का या ४ का और सत्ता की होती है । इसी प्रकार ६ प्रकतियों के बन्धक के भी उदय और सत्व जानना । चार प्रकृतियों के बध करने वाले के पूर्वोक्त' प्रकार उदय चार मा पांच का, सत्व तौ का तथा छह का भी सत्व पाया जाता है । जिसके बन्ध का अभाव है, उसके उदय तो चार व पांच का है और सस्व नौ का व छह का है तथा उदव-सत्व दोनों ही चार-चार के भी हैं।