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षष्ठ कर्मग्रन्थ
गणस्थान
बन्धस्थान
उदयस्थान | सत्तास्थान
१. मिथ्यात्व
२.. सासादन
३. मिश्च ४. अविरत
देशविरत
प्रमत्तविरत ७. अप्रमत्तविरत
अपूर्वकरण ६. अनिवृत्तिकरण १७. सूक्ष्मसंपराय ११ उपशान्तमोह १२. क्षीणमोह १३. सयोगिकेवानी १४. अयोगिकेवली
विशेषार्थ-इन दो गाथाओं में गुणस्थानों में नामकर्म के बंध, उदय और सत्ता स्थानों को बतलाया है । (१) मिष्याष्टि गुणस्थान
पहले मिथ्याष्टि गुणस्थान में नामकर्म के बंधस्थान, उदयस्थान और सत्तास्थान क्रम से छह, नौ और छह हैं-'छण्णव छक्कं' | जिनका स्पष्टीकरण इस प्रकार है