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पारिभाषिक शब्द-कोष
लोमाहार-स्पर्शनेन्द्रिय द्वारा ग्रहण किये जाने वाला आहार । लोहित गर्ग नामकर्म--जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर सिन्दूर जैसा लाल हो।
(य) वर्ग-समान दो संख्याओं का आपस में गुणा करने पर प्राप्त राशि ।
सजातीय प्रकृतियों के समुदाय ।
अविभागी प्रतिच्छेदों का समूह । अर्गना-समान जातीय पुद्गलों का समूह । वचनयोग--जीव के उस व्यापार को कहते हैं जो औदारिक, वैक्रिय या
आहारक शरीर की क्रिया द्वारा संचय किये हए भाषा द्रव्य की सहायता से हो.है : अदा मा गरिमा को प्राप्त हुए पुद्गल को वचन कहते हैं और उस सहकारी कारणभूत बधन के द्वारा होने वाले योग को वचनयोग कहते हैं । अथवा वचन को विजय करने वाले योग को या भाषावर्गणा सम्बन्धी पुदगल स्कन्धों के अवलंबन से जो जीव
प्रदेशों में संकोच-विकोच होता है, उसे वचनयोग कहते हैं। वशषभनाराबसंहनन नामकर्म--जिस कमे के उदय से हड्डियों की रचना
बिशेष में वन-कीली, ऋषभ-वेष्ठन, पट्टी और नाराच-दोनों ओर मर्कट बंध हो, अर्थात् दोनों ओर से मकंट बंघ से बंधी हुई दो हड्डियों पर तीसरी हड्डी का बेठन हो और उन तीनों हड्डियों को भेदने वाली हड्डी की
कोली लगी हुई हो । गर्गमामकर्म-जिस कर्म के उदय से पारीर में कृष्ण गौर आदि रंग होते हैं । वर्षमान अवविज्ञान-अपनी उत्पत्ति के समय अल्प विषय बाला होने पर भी
___ परिणाम-विशुद्धि के साथ उत्तरोत्तर अधिकाधिक विषय होने वाला । जनस्पति काय-जिन जीवों का शरीर वनस्पति मय होता है। बस्तु - अनेक प्रामृतों का एक वस्तु अधिकार होता है । एक वस्तु अघि
फार के ज्ञान को वस्तुथु त कहते हैं। मस्तु समास शुत-दो-चार वस्तु अधिकारों का ज्ञान । बामन संस्थान मामकर्म-- जिस कर्म के उदय से शरीर वामन (बौना) हो। मायुकाष-वायु से बनने वाला वायवीय शरीर ।