Book Title: Karmagrantha Part 6
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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सप्तसिका प्रकरग
बंधस्थान
मंग
उगमस्थान
भंग
सत्तास्थान
३० प्रकृतिक
६२, ८६, 45 ६२, ८६, ८८ | १२, ६, ८८ |६२, ६१,८८
१२, ८६, ८८
तिर्यचगति में संवेष-छह बंधस्थानों में से २३ प्रकृतिक बंधस्थान में यद्यपि पूर्वोक्त २१, २४, २५, २६, २७, २८, २९, ३० और ३१ प्रकृतिक, ये नौ ही उदयस्थान होते हैं। लेकिन इनमें से प्रारम्भ के २१, २४, २५ और २६ प्रकृतिक, इन चार उदयस्थानों में से प्रत्येक में ६२, ६, ८६, ८० और ७८ प्रकृतिक, ये पांच-पांच सत्तास्थान होते हैं और अन्त के पांच उदयस्थानों में से प्रत्येक में ७८ प्रकृतिक के बिना चार-चार सत्तास्थान होते हैं। क्योंकि २७ प्रकृतिक आदि उदयस्थानों में नियम से मनुष्यद्विक की सत्ता सम्भव है। अत: इनमें ७८ प्रकृतिक सत्तास्थान नहीं पाया जाता है।
इसी प्रकार २५, २६, २६ और ३० प्रकृतिक बंधस्थान वाले जीवों के बारे में भी जानना चाहिये । किन्तु इतनी विशेषता है कि मनुष्यगतिप्रायोग्य २६ प्रकृतियों का बंध करने वाले जीव के सब उदयस्थानों में ७ के बिना चार-चार सत्तास्थान ही सम्भव हैं। क्योंकि मनुष्यद्विक का बंध करने वाले के ७८ प्रकृतिक सत्तास्थान सम्भव नहीं है।