Book Title: Karmagrantha Part 6
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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परिशिष्ट-१
चउ पणवीसा सोलस नव बाणउईसया य अडयाला । एयालुत्तर छायालसया एक्कक्क बंधविहीं ।।२५।। वीसिमवीसा चउबीसमाइ एमाहिया उ इगतीसा। उदयट्ठाणाणि भवे नव अट्ठ य हुंति नामस्स ॥२६॥ एग बियालेक्कारस तेत्तीसा छस्सयाणि तेत्तीसा । बारससत्तरससयाणहिगाणि बिपचसीईहि ॥२७।। अउणत्तीसेक्कारससयाङ्गिा सतरसपंचसट्ठीहि । इक्केक्कगं च वीसादठुदयंतेस् उदयविही ॥२८।। तिदुनउई उगुनउई अच्छलसी असीइ उगुसीई। अठ्ठयछप्पणत्तरि नव अट्ठ य नामसंताणि ।।२९।। अह य बारस बारस बंधोदयसंतपयडिठाणाणि ।
ओहेणादेसेण य जस्थ जहासंभवं विभजे ॥३०॥ नव पंचोदय संता तेवीसे पाणवीस छब्बीसे । अट्ठ च उरट्ठवीसे नव सत्तुगतीस तीसम्मि ॥३१॥ एगेगमेगतीसे एगे एगुदय अट्ठ संतम्मि । उबरयबंधे दस दस वेयगसंतम्मि ठाणागि ॥३२।। तिविगप्पपगइठाणेहिं जीवगुणसन्निएस ठाणेसु । भंगा पउंजियव्या जत्थ जहा संभवो भवइ ॥३३॥ तेरससु जीवसंखेवएसु नाणंतराय तिविगप्पो।। एक्कम्मि तिविगप्पो करणं पड़ एत्य अविगप्पो ॥३४।। तेरे नव चल पणगं नव संतेगम्मि भंगमेक्कारा । वेणियाउयगोए विभज्ज मोहं परं वोच्छं ।।३।। अट्ठसु पंचसु एगे एग दुगं दस य मोहबंधगए। तिग चङ नव उदयगए तिग तिग पन्नरस संतम्मि ॥३६।। पण दुग पणगं पण चउ पणगं पणगा हवंति तिन्नेछ । पण छ पणग छ च्छ पणगं अट्ठछ दसर्ग ति ॥३७।।
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