Book Title: Karmagrantha Part 6
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
View full book text
________________
पारिभाषिक शब्द कोष
पुद्गलो में से योग्य पुद्गल इन्द्रिय रूप से परिणत किये जाते हैं। अथवा जीव की वह शक्ति है जिसके द्वारा योग्य आहार पुगलों को इन्द्रिय रूप परिणत करके इन्द्रियजन्य बोध का सामध्यं प्राप्त किया जाता है।
(f) ईहा अवग्रह के द्वारा जाने हुए पदार्थ के विषय में धर्म विषयक विचारणा
२०
कुल --- धर्म और नीति की रक्षा के संबंध में जिस कुल ने चिरकाल से प्रसिद्धि प्राप्त की है ।
उप गोत्रकर्म --- जिस कर्म के उदय से जीव उच्च कुल में जन्म लेता है । उच्छ्वास काल — निरोग, स्वस्थ, निश्चिन्त, वरुण पुरुष के एक बार दवास लेने और त्यागने का काम ।
(उ)
उच्छवास विश्वास – संख्यात आवली का एक उच्छवास निश्वास होता है । उच्छ्वास नामकर्म-जिसके उदय से व्यवायफ
होता है।
अत्कृष्ट असंख्यात संख्यात -- जवन्य असंख्यातासंस्थात की राशि का अन्योन्याभ्यास करने से प्राप्त होने वाली राशि में से एक को कम करने पर प्राप्त राशि |
उत्कृष्ट परीतामग्स - जयन्य परीतानाम्स की संख्या का अभ्योन्याभ्यास करने पर प्राप्त संख्या में से एक को कम कर देने पर प्राप्त संख्या ।
उत्कृष्ट युक्तान-जयन्य युक्तानन्त की संख्या का परस्पर गुणा करने पर प्राप्त संख्या में से एक कम कर देने पर उत्कृष्ट युक्तानन्त होता है । उत्कृष्ट परीतायात अचन्य परीतासंख्यात की राशि का अन्योन्याभ्यास फरके उसमें से एक को कम करने पर प्राप्त संख्या ।
—
--
उत्कृष्ट युक्त संख्यात - अधभ्य युक्तासंस्थान की राशि का परस्पर गुणा करने परमाप्त राशि में से एक को कम कर देने पर प्राप्त राशि |
उत्कृष्ट संपात --- अनवस्थित, शलाका, प्रतिपालाका और महाशलाका पत्यों को विधिपूर्वक सरसों के दानों से परिपूर्ण भरकर उनके दानों के जोड़ में से एक दाना कम कर लिए जाने परं प्राप्त संख्या ।
उत्कृष्ट गरम अधिकतम स्थिति बन्ध ।