Book Title: Karmagrantha Part 6
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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पष्ठ कर्मग्रन्थ
३४७
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केवली के और आठ प्रकृतियों का उदय सामान्य केवली के होता है ।
छह सत्तास्थान ८०, ७६, ७६, ७५, ६ और ८ प्रकृतिक हैं। इस प्रकार अयोगि केवली गुणस्थान के दो उदयस्थान व छह सत्तास्थान जानना चाहिये। इनके संवेध इस प्रकार हैं कि ८ प्रकृतियों के उदय में ७६, ७५ और - प्रकृतिक, ये तीन सत्तास्थान होते हैं। इनमें से ७६ और ७५ प्रकृतिक सत्तास्थान उपान्त्य समय तक होते हैं और ८ प्रकृतिक सत्तास्थान अन्तिम समय में होता है तथा ६ प्रकृतियों के उदय में ८०, ७६ और प्रकृतिक ये तीन सत्तास्थान होते हैं जिनमें से आदि के दो (८०, ७६) उपान्त्य समय तक होते हैं और प्रकृतिक सत्तास्थान अन्तिम समय में होता है।
अयोगिकेवली गुणस्थान के उदय सत्तास्थानों के संवेध का विवरण इस प्रकार है
बंधस्थान
भंग
सदयस्थान
मंग
।
सत्तास्थान
८०,७६,६ | ७६, ७५, ८
इस प्रकार से गुणस्थानों में बंध, उदय और सत्ता स्थानों का विचार करने के बाद अब गति आदि मार्गणाओं में बंध, उदय और सत्ता स्थानों का विचार करते हैं।
१ तथाष्टोदयोनीर्थकरायोगिकेवलिनः, नवोदयस्तीर्यकरायोगिकेवलिनः ।
-सप्ततिका प्रकरण टीका, पृ० २३४