Book Title: Karmagrantha Part 6
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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सप्ततिका प्रकरण
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स्थान में जो सत्रह प्रकृतिक बंषस्थान हैं, उसके सात प्रकृतिक उदयस्थान के अंगों की तीन चौबीसी, तेरह प्रकृतिक बंधस्थान के समय जो सात प्रकृतिक उदयस्थान होता है, उसके भंगों की तीन चौबीसी और . नौ प्रकृतिक बंधस्थान के समय जो सात प्रकृतिक उदयस्थान होता है, उसके भंगों की एक चौबीसी होती है। इस प्रकार सात प्रकृतिक उदयस्थान में भंगों की कुल दस चौबीसी होती हैं।
छह प्रकृतिक उदयस्थान में भंगों की कुल सात चौबीसी इस प्रकार होती हैं-अविरत सम्यग्दृष्टि के सत्रह प्रकृतिक बंधस्थान के समय जो छह प्रकृतिक उदयस्थान होता है, उसके भंगों की एक चौबीसी, तेरह प्रकृतिक और नौ प्रकृतिक बंधस्थान में जो छह प्रकृतिक उदयस्थान होता है, उसके अंगों को तीन-तीन चौबीसी होती हैं। इस प्रकार यह प्रकृतिक उदयस्थान के भंगों की कुल सात चौबीसी हुई।
पांच प्रकृतिक उदयस्थान में भंगों की कुल चार चौबीसी होती हैं। वे इस प्रकार हैं-तेरह प्रकृतिक बंघस्थान में जो पाँच प्रकृतिक उदयस्थान होता है, उसके भंगों की एक चौबीसी और नौ प्रकृतिक बंघस्थान में जो पाँच प्रकृतिक उदयस्थान हैं, उसके भङ्गों की कुल तीन चौबीसी होती हैं। इस प्रकार पाँच प्रकृतिक उदयस्थान में भङ्गों की कुल चार चौबीसी होती हैं ।
नौ प्रकृतिक बंधस्थान के समय चार प्रकृतिक उदय के भङ्गों की .. एक चौबीसी होती है।
इस प्रकार दस से लेकर चार पर्यन्त उदयस्थानों के भंगों की कुल संख्या १+६+११+१०+-+४+१-४० चौबीसी होती हैं।
पाँच प्रकृतिक बंध के समय दो प्रकृतिक उदय के बारह भंग होते हैं और चार प्रकृतिक बंध के समय भी दो प्रकृतिक उदय संभव है, ऐसा कुछ आचार्यों का मत है, अत: इस प्रकार दो प्रकृतिक उदयस्थान के बारह भंग हुए। जिससे दो प्रकृतिक उदयस्थान के भेगों की एक