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जीवस्थान
ज्ञाना-दर्शना।
कम
x | आयु
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षष्ठ कर्मपत्य
चौदह जीवस्थानों में ज्ञानावरण, दर्शनावरण, वेदनीय, आयू, गोत्र और अंतराय, इन छह कमों के भंगों का विवरण इस प्रकार है
। गोत्र | अंतराय
वरणवरण | E F | गान एकेन्द्रिय सूक्ष्म अपर्याप्त | १ | २ . ४ २ : एकेन्द्रिय मूक्ष्म पर्याप्त ३ | एकेन्द्रिय वादर अपर्याप्त
एकेन्द्रिय बादर पर्याप्त १ । २ हीन्द्रिय अपर्याप्त दीन्द्रिय पर्याप्त
श्रीन्द्रिय अपर्याप्त ८ | श्रीन्द्रिय पर्याप्त है | चतुरिन्द्रिय अपर्याप्त
चतुरिन्द्रिय पर्याप्त असंज्ञी पंचेन्द्रिय अपर्याप्त
असंजी पंचेन्द्रिय पर्याप्त १३ | संशी पंचेन्द्रिय अपर्याप्त १४ | संजी पंचेन्द्रिय पर्याप्त । २ ११ / 4
छह कर्मों के जीवस्थानों में भंगों को बतलाने के बाद अब 'मोहं परं वोच्छं'-मोहनीय कर्म के भंगों को बतलाते हैं ।
अदृसु पंचसु एगे एग दुगं दस य मोहबंधगए। तिग चा नव उदयगए तिम तिग पन्नरस संतम्मि ॥३६॥