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सप्ततिका प्रकरण
अप्रमत्तसंयत, इन तीन गुणस्थानों में तेजोलेश्या आदि तीन शुभ लेश्या हैं और अपूर्वकरण आदि आगे के गुणस्थानों में एक शुक्ललेश्या होती है।
मिथ्यात्व आदि गणस्थानों में से प्रत्येक में प्राप्त चौबीसी पहले बतलाई जा चुकी है। इसलिये तदनुसार मिथ्यात्व में ८, सासादन में ४ और मित्र में ४ तथा अविरत सम्बन्हाट में 4 चौबासी हुई । इनका कुल जोड़ २४ हुआ। इन्हें ६ से गुणित कर देने पर २४४६=१४४ हुए। देशविरत में ८, प्रमत्तविरत में ८ और अप्रमत्तविरत में ८ चौबीसी हैं। जिनका कुल जोड़ २४ हुआ । इन तीन गणस्थानों में तीन शुभ लेश्यायें होने के कारण २४४ ३=७२ होते हैं। अपूर्वकरण गुणस्थान में ४ चौबीसी हैं, लेकिन यहाँ सिर्फ एक शुक्ल लेश्या होने से सिर्फ ४ ही प्राप्त होते हैं । उक्त आठ गुणस्थानों की कुल संख्या का जोड़ १४४-१-७२-|-४ =२२० हुआ। इन्हें २४ से गुणित कर देने पर आठ गुणस्थानों के कुल उदयस्थान विकल्प २२०४२४ = ५२८० होते हैं । अनन्तर इनमें दो प्रकृतिक उदयस्थान के १२ और एक प्रकृतिक उदयस्थान के ५ इस प्रकार १७ मंगों को और मिला देने पर कुल उदयस्थान विकल्प ५२८० +१७=५२६७ होते हैं। ये ५२६७ लेश्याओं की अपेक्षा उदयस्थान विकल्प जानना चाहिये ।
इन उदयस्थान विकल्पों का विवरण क्रमशः इस प्रकार है
गुणस्थान
लेश्या
गुणकार
गुणनफल (उदयविकल्प)
मिथ्यात्व
EX२४
११५२
सासादन
४४२४ ४४२४
मिन
५७६ ११५२
अविरत
EX२४