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षष्ठ कर्मग्रन्थ
३०५ मिथ्यात्व गुणस्थान में २२ प्रकृतिक बंधस्थान और ७,८,९ और और १० प्रकृतिक, ये चार उदयस्थान होते हैं । इनमें से ७ प्रकृतिक उदयस्थान में एक २८ प्रकृतिक सत्तास्थान ही होता है किन्तु शेष तीन , है और १० प्रकृतिक उदयस्थानों में २८, २७ और २६ प्रकृतिक, ये तीन सत्तास्थान संभव हैं। इस प्रकार मिथ्याइष्टि गुणस्थान में कुल सत्तास्थान १० हुए--१+३४३-१० ।
सासादन गुणस्थान में २१ प्रकृतिक बंधस्थान और ७, ८, ९ प्रकृतिक, ये तीन उदयस्थान रहते हुए प्रत्येक में २८ प्रकृतिक सत्तास्थान हैं । इस प्रकार यहाँ तीन सत्तास्थान हुए।
मिश्र गुणस्थान में १७ प्रकृतिक बंधस्थान तथा ७, ८ और है प्रकृतिक, इन तीन उदयस्थानों के रहते हुए प्रत्येक में २८, २७ और २४ प्रकृतिक, ये तीन सत्तास्थान होते हैं। अत: यहाँ कुल ६ सत्तास्थान हुए।
अविरत सम्यग्दृष्टि गुणस्थान में एक १७ प्रकृतिक बंधस्थान तथा ६, ७, ८ और १ प्रकृतिक, ये चार उदयस्थान होते हैं और इनमें से ६ प्रकृतिक उदयस्थान में तो २८, २४ और २१ प्रकृतिक, ये तीन सत्तास्थान होते हैं तथा ७ और 5 में से प्रत्येक उदयस्थान में २८,२४, २३. २२ और २१ प्रकृतिक, ये पांच-पांच सत्तास्थान हैं। प्रकृतिक उदयस्थान में २८, २४, २३ और २२ प्रकृतिक, ये चार सत्तास्थान होते हैं । इस प्रकार यहाँ कुल १७ सत्तास्थान हुए।
देशविरत गुणस्थान में १३ प्रकृतिक बंधस्थान तथा ५, ६, ७ और ६ प्रकृतिक, ये चार उदयस्थान हैं। इनमें से ५ प्रकृतिक उदयस्थान में तो २८, २४ और २१ प्रकृतिक, ये तीन सत्तास्थान तथा ६ और ७ प्रकृतिक उदयस्थानों में से प्रत्येक में २८, २४, २३, २२ और २१ प्रकृतिक, ये पांच-पांच सत्तास्थान होते हैं तथा ८ प्रकृतिक उदयस्थान