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षष्ठ कर्मग्रन्य
गुणस्थान
| उपयोग
उदयपद
गुणकार | गुणनफल (पदवृन्द)
मिथ्यात्व
८१६०
सासादन
मिथ
३८४०
अधिरत
देशविरत प्रमसविरत अप्रमसविरत अपूर्वकरण अनिवृत्तिबादर
३३६०
सूक्ष्मसंपराय
५०३१५ पदवृन्द
इसमें मिश्र मुणस्थान संबंधी अवधिदर्शन के ७६८ भंगों को और मिला दिया जाये तो उस अपेक्षा से कुल पदवृन्द ५१०८३ होते है।
इस प्रकार से उपयोगों की अपेक्षा उदयस्थान पदवृन्दों का वर्णन करने के बाद अब लेश्याओं की अपेक्षा उदयस्थान विकल्पों और पदवृन्दों का विचार करते हैं। पहले उदयस्थान विकल्पों को बतलाते हैं।
मिथ्यात्व से लेकर अविरत सम्यग्दृष्टि, इन चार गुणस्थानों तक प्रत्येक स्थान में छहों लेश्यायें होती हैं । देशविरत, प्रमत्तसंयत और