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षष्ठ कर्मग्रन्थ
EX२४
११५२ ११५२
x२४
८४२४
१३४४
अविरत देशविरत प्रमत्तविरत अप्रमत्तविरत अपूर्वकरण अनिवृतिवादर
१३४४
८४२४ ४४२४
सूक्ष्म संपराय
७७०३ उदयविकल्प
विशेष-जब दूसरे मत के अनुसार मिथ गुणस्थान में अबधिदर्शन सहित छह उपयोग होते हैं तब इसकी अपेक्षा प्राप्त हुए ६६ भंगों को ७७०३ भंगों में मिला देने पर कुल उदयविकल्प ७७६६ होते हैं । ____ इस प्रकार से उपयोगों की अपेक्षा उदयविकल्पों को बतलाने के बाद अब उपयोगों से गुणित करने पर प्राप्त पदवृन्दों के प्रमाण को बतलाते हैं।
पूर्व में भाष्य गाथा 'अट्ठी बत्तीसं ......' में गुणस्थानों में उदयस्थान पदों का संकेत किया जा चुका है। तदनुसार मिथ्यात्व में ६८, सासादन में ३२ और मिश्र गुणस्थान में ३२ उदयस्थान पद हैं, जिनका जोड़ १३२ होता है। इन्हें इन गुणस्थानों में सम्भव ५ उपयोगों से गुणित करने पर १३२४५=६६० हुए। अविरत सम्यग्दृष्टि में ६० और देशविरत में ५२ उदयस्थान पद हैं । जिनका जोड़ ११२ होता है, इन्हें यहां संभव ६ उपयोगों से मुणित करने पर ६७२ हुए । प्रमत्तसंयत