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सप्ततिका प्रकरण
नुबन्धी के उदय से रहित और २ अनन्तानुबन्धी के उदय से सहित | 1 इनमें से जो अनन्तानुबन्धी के उदय से रहित वाला आठ प्रकृतिक उदयस्थान है, उसमें एक अट्ठाईस प्रकृतिक सत्तास्थान ही प्राप्त होता है । इसका स्पष्टीकरण सात प्रकृतिक उदयस्थान के प्रसंग ने ऊपर किया गया है तथा जो अनन्तानुबन्धो के उदय सहित आठ प्रकृतिक उदयस्थान है, उसमें उक्त तीनों ही सत्तास्थान बन जाते हैं। वे इस प्रकार हैं - १. जब तक सम्यक्त्व को उवलना नहीं होती तब तक अट्ठाईस प्रकृतिक सत्तास्थान होता है । २. सम्यक्त्व की उवलना हो जाने पर सत्ताईस प्रकृतिक और ३. सम्यग्मिथ्यात्व की उवलना हो जाने पर छब्बीस प्रकृतिक सत्तास्थान होता है । यह छब्बीस प्रकृतिक सत्तास्थान अनादि मिथ्यादृष्टि जीव को भी होता है।
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नौ प्रकृतिक उदयस्थान भी अनन्तानुबन्धो के उदय से रहित और अनन्तानुबन्धी के उदय से सहित होता है। अनन्दानुबन्धो के उदय से रहित नौ प्रकृतिक उदयस्थान में तो एक अट्ठाईस प्रकृतिक सत्तास्थान ही होता है, किन्तु जो नौ प्रकृतिक उदयस्थान अनन्तानुबन्धी के उदय सहित है उसमें तीनों सत्तास्थान पूर्वोक्त प्रकार से बन जाते हैं ।
दस प्रकृतिक उदयस्थान अनन्तानुबन्धी के उदय वाले को ही होता है | अन्यथा दस प्रकृतिक उदयस्थान ही नहीं बनता है । अतः उसमें २८, २७ और २६ प्रकृतिक तीनों सत्तास्थान प्राप्त हो जाते हैं ।
इक्कीस प्रकृतिक बन्धस्थान के समय सत्तास्थान एक अट्ठाईस
१ यतोऽष्टोदयो द्विधा - अनन्तानुबन्ध्युदय रहितोऽनन्तानुबन्ध्युदयसहितश्च । -- सप्ततिका प्रकरण टोका, पृ० १७१
२
तत्र यावद नाद्यापि सम्यक्त्वमुवलयति तावदष्टाविंशतिः, सम्यक्त्वे उवलिते सप्तविंशतिः सम्यग्मिथ्यात्वेऽप्युवलिते षड्विंशतिः अनादिमिप्यादृष्टेर्वा दशतिः । --सप्ततिका प्रकरण टोका,
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पृ० १७१