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सप्ततिका प्रकरण
प्रकृतिक, ये पांच उदयस्थान होते हैं। वैक्रिय शरीर को करने वाले असंयत और तासंगन मनुष्यों के हिला दयस्थान होते हैं । मनुष्यों में संयतों को छोड़कर यदि अन्य मनुष्य वैक्रिय शरीर को करते हैं तो उनके उद्योत का उदय नहीं होता। अतः यहाँ ३० प्रकृतिक उदयस्थान नहीं होता है । इस प्रकार २६ प्रकृतिक बंधस्थान में उदयस्थानों का विचार किया गया कि २१, २४, २५, २६, २७, २८, २६, ३० और ३१ प्रकृतिक, ये नौ उदयस्थान हैं । ___अब सत्तास्थानों का विचार करते हैं। पूर्व में संकेत किया गया है कि २६ प्रकृतिक बंधस्थान में ६३, ९२, ८६, ८८, ८६, ८० और ७८ प्रकृति वाले सात सत्तास्थान हैं । जिनका स्पष्टीकरण इस प्रकार है-- यदि विकलेन्द्रिय और तिर्यंच पंचेन्द्रिय के योग्य २६ प्रकृतियों का बंध करने वाले पर्याप्त और अपर्याप्त एकेन्द्रिय और विकलेन्द्रिय तथा तियंच पंचेन्द्रिय जीवों के २१ प्रकृतिक उदयस्थान होता है तो वहाँ ६२, ८८, ८६, ८० और ७८, ये पांच सत्तास्थान होते हैं। इसी प्रकार २४, २५ और २६ प्रकृतिक उदयस्थानों में उक्त पाँच सत्तास्थान जानना चाहिये तथा २७, २८, २९, ३० और ३१ प्रकृतिक, इन पाँच उदयस्थानों में ७८ प्रकृतिक सत्तास्थान को छोड़कर शेष चार सत्तास्थान होते हैं । इसका विचार जैसा २३ प्रकृतियों का बंध करने वाले जीवों के कर आये है वैसा ही यहाँ भी समझ लेना चाहिए। मनुष्यगति के योग्य २६ प्रकृतियों का बंध करने वाले एकेन्द्रिय, विकलेन्द्रिय और तिर्यंच पंचेन्द्रिय जीवों के तथा मनुष्य व तिर्यंचगति के योग्य २६ प्रकृतियों का बंध करने वाले मनुष्यों के अपनेअपने योग्य उदयस्थानों में रहते हुए ७८ प्रकृतिक सत्तास्थान को छोड़कर शेष चार वे ही सत्तास्थान होते हैं। तिर्यंच पंचेन्द्रिय और मनुष्यगति के योग्य २९ प्रकृतियों का बंध करने वाले देव और नारकों के अपने अपने उदयस्थानों में ६२ और ८८ प्रकृतिक, ये दो सत्तास्थान