Book Title: Karmagrantha Part 6
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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सप्ततिका प्रकरण
वैक्रिय शरीर को करने वाले वायुकायिक जीवों के २४ प्रकृतिक उदयस्थान रहते ६२, ८८ और ५६ प्रकृतिक, सोम सतापाम हो होते हैं किन्तु ८० और ७८ प्रकृति वाले सत्तास्थान नहीं होते हैं।
२५ प्रकृतिक उदयस्थान के होते हुए भी उक्त पांच सत्तास्थान होते हैं। किन्तु उनमें से ७८ प्रकृतिक सत्तास्थान बैंक्रिय शरीर को नहीं करने वाले वायुकायिक जीवों के तथा अग्निकायिक जीवों के ही होते हैं, अन्य को नहीं, क्योंकि अग्निकायिक और वायुकायिक जीवों को छोड़कर अन्य सब पर्याप्त जीव नियम से मनुष्यगति और मनुष्यानुपूर्वी का बंध करते हैं
तेवाऊबम्जो पग्नत्तगी मणुयगई नियमा बंधे। चूर्णिकार का मत है कि अग्निकायिक, वायुकायिक जीवों को छोड़कर अन्य पर्याप्त जीव मनुष्यगति का नियम से बंध करते हैं। इससे सिद्ध हुआ कि ७८ प्रकृतिक सत्तास्थान अग्निकायिक जीवों को और वैक्रिय शरीर को नहीं करने वाले वायुकायिक जीवों को छोड़कर अन्यत्र प्राप्त नहीं होता है।
२६ प्रकृतिक उदयस्थान में भी उक्त पांच सत्तास्थान होते हैं। किन्तु यह विशेष है कि प्रकृतिक सत्तास्थान वैक्रिय शरीर को नहीं करने वाले वायुकायिक जीवों के तथा अग्निकायिक जीवों के होता है तथा जिन पर्याप्त और अपर्याप्त द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय और पंचेन्द्रिय जीवों में उक्त अग्निकायिक और वायुकायिक जीव उत्पन्न हुए हैं, उनको भी जब तक मनुष्यगति और मनुष्यानुपूर्वी का बंध नहीं हुआ है, तब तक ७८ प्रकृतिक सत्तास्थान होता है।
२७ प्रकृतिक उदयस्थान में ७८ प्रकृतिक सत्तास्थान को छोड़कर शेष चार सत्तास्थान होते हैं। क्योंकि २५ प्रकृतिक उदयस्थान अग्निकायिक और वायुकायिक जीवों को छोड़कर पर्याप्त बादर एकेन्द्रिय और वैक्रिय शरीर करने वाले तिथंच और मनुष्यों को