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सप्ततिका प्रकरण
और सम्यक्त्वमोहनीय इन दो प्रकृतियों के मिलाने से प्राप्त होता है । इस स्थान के तीन प्रकार से प्राप्त होने के कारण प्रत्येक भेद में मंगों की एक-एक चौबीसी होती है। जिससे आठ प्रकृतिक उदयस्थान में नमी की तीन चोली हुई।
उक्त छह प्रकृतिक उदयस्थान में भय, जगप्सा और सम्यक्त्वमोहनीय, इन तीनों प्रकृतियों को एक साथ मिलाने पर नौ प्रकृतिक उदयस्थान होता है। इस स्थान में यिवारूप न होने से भंगों की एक चौबीसी बनती है। ___ इस प्रकार चौथे अविरत सम्यग्दृष्टि गुणस्थान में सत्रह प्रकृतिक बंधस्थान में छह प्रकृतिक उदयस्थान की भंगों की एक चौबीसी, सात प्रकृतिक उदयस्थान की भंगों की तीन चौबीसी, आठ प्रकृतिक उदयस्थान की भंगों की तीन चौबीसी और नौ प्रकृतिक उदयस्थान की भंगों की एक चौबोसी, इस प्रकार कुल मिलाकर भंगों की आठ चौबीसी प्राप्त हुई। जिसमें से चार चौबीसी सम्यक्त्वमोहनीय के उदय बिना की होती हैं और चार चौबीसी सम्यक्त्वमोहनीय के उदय साहित की होती हैं। इनमें से जो सम्यक्त्वमोहनीय के उदय बिना की होती हैं, वे उपशम सम्यग्दृष्टि और क्षायिक सम्यग्दृष्टि जीवों के जानना चाहिये और जो सम्यक्त्वमोहनीय के उदय सहित की होती हैं, वे वेदक सम्यग्दृष्टि जीबों के जानना चाहिये। ____ अब तेरह प्रकृतिक बंधस्थान के उदयस्थानों के विकल्पों को बतलाते हैं कि 'तेरे पंचाइ अठेव'--तेरह प्रकृतिक बंधस्थान के रहते पांच प्रकृतिक, छह प्रकृतिक, सात प्रकृतिक और आठ प्रकृतिक, ये चार उदयस्थान होते हैं। उनमें से पहला पाँच प्रकृतिक उदयस्थान इस प्रकार होता है कि प्रत्याख्यानावरण, संज्वलन प्रकारों के क्रोधादि कषाय चतुष्क में से कोई एक-एक कषाय, तीन वेदों में से कोई एक