Book Title: Karmagrantha Part 6
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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सप्तनिका प्रकरण
तिक और सात प्रकृतिक, ये चार उदयस्थान हैं । यह बंधस्थान छठे, सातवें और आठवें गुणस्थानों में होता है।
चार प्रकृतिक उदयस्थान में ग्रहण की गई प्रकृतियां इस प्रकार हैं कि संज्वलन कषाय चतुष्क में से कोई एक कषाय, तीन वेदों में से कोई एक बेद, दो युगलों में से कोई एक युगल, इन चार प्रकृतियों का उदय क्षायिक सम्यग्दृष्टियों, औपशमिक सम्यग्दृष्टियों को छठे आदि गुणस्थानों में नियम से होता है । विकल्प नहीं होने से इसमें एक चौबीसी होती है । इसमें भय, जुगुप्सा, सम्यक्त्वमोहनीय इन तीन प्रकृतियों में से किसी एक प्रकृति को क्रम से मिलाने पर पनि प्रकृतिक उदयस्थान तीन प्रकार से प्राप्त होता है। इसमें तीन विकल्प हैं और एक विकल्प की भंगों की एक चौबीसो होने से भंगों की तीन चौबीसी प्राप्त होती हैं । पूर्वोक्त चार प्रकृतिक उदयस्थान में भय और जुगुप्सा, भय और सम्यक्त्वमोहनीय या जुगप्सा और सम्यक्त्वमोहनीय इन दो-दो प्रकृतियों को कम से मिलाने पर छह प्रकृतिक उदयस्थान तीन प्रकार से प्राप्त होता है और तीन विकल्प होने से एक-एक भेद में भंगों की एक-एक चौवीसी प्राप्त होती है, जिससे छह प्रकृतिक उदयस्थान में भंगों की कुल तीन चौबीसी प्राप्त हुई। फिर चार प्रकृतिक उदयस्थान में भय, जुगुप्सा और सम्यक्त्वमोहनीय इन तीनों को एक साथ मिलाने से सात प्रकृतिक उदयस्थान होता है । यह सात प्रकृतिक उदयस्थान एक ही प्रकार का है, अतः यहाँ भंगों को एक चौबीसी प्राप्त होती है।
इस प्रकार नौ प्रकृतिक बंधस्थान में उदयस्थानों की अपेक्षा चार प्रकृतिक उदयस्थान में भंगों की एक चौबीसी, पाँच प्रकृतिक उदयस्थानों में भंगों की तीन चौबीसी, छह प्रकृतिक उदयस्थानों में भंगों की तीन चौबीसी और सात प्रकृतिक उदयस्थान में भंगों की एक चौबीसी होने से कुल मिलाकर आठ चौबीसी प्राप्त होती हैं। इनमें से चार