________________
७२
सप्ततिका प्रकरण उदयस्थान में मिथ्यात्व को मिलाने पर दस प्रकृतिक उदयस्थान होता है । यह उदयस्थान मियादृष्टि गुणस्थान में होता है। ___ मोहनीय कर्म के उक्त नौ उदयस्थान सामान्य से बतलाये हैं । क्योंकि तीसरे मिश्र गुणस्थान' में मिश्र मोहनीय का और चौथे से सातवें गुणस्थान तक वेदक सम्यग्दृष्टि के सम्यक्त्व मोहनीय का उदय हो जाता है। इसलिये सभी विकल्पों को न बतलाकर यहाँ तो सूचना मान की है। विशेष विस्तार से वर्णन आगे किया जा रहा है । प्रत्येक उदयस्थान' का जघन्यकाल' एक समय और उत्कृष्टकाल अन्तर्मुहूर्त है। मोहनीय कर्म के उदयस्थानों का विवरण इस प्रकार है
काल उदयस्थान गुणस्थान
जघन्य उस्कृष्ट १० नौवें का अवेद माग व दसवां एक समय | अन्तर्मुहूर्त
नौ का सवेद भाग
६, ७, ८ ६, ७, पांचा
४, ३
१ मोहनीय कर्म के नौ उदयस्थानों की संग्रहणीय गाथायें इस प्रकार हैं(क) एगयर संपरायं वेयजुयं दोष्णि जुयलजुय चउरो ।
पकमक्खाणेगपरे पृढे पंव पयवीयो ।