Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
View full book text
________________
प्राचीन चरित्रकोश
आभूतरजस्
आभूतंरजस् - - रैवत मन्वंतर का एक देव ( मनु . देखिये) ।
आभूति त्वाष्ट्र -- विश्वरूप त्वाष्ट्र का शिष्य (बृ. उ. २.६.३: ४.६.३ ) ।
आम - - ( स्वा. प्रिय.) घृतपृष्ठ के सात पुत्रों में ज्येष्ठ । इसका संवत्सर आमवर्ष इस नाम से प्रसिद्ध है।
२. कृष्ण का सत्यभामा से उत्पन्न पुत्र । यह महारथी
था।
३. कान्यकुञ्ज देश के इस राजा ने बुद्धधर्म स्वीकार कर, बुद्धधर्म का प्रचार चालू किया । राम ने मारुती के द्वारा इसका प्रतिकार कर, इसे पुनः वैदिक धर्म में समाया । इसकी राजधानी धर्मारण्य थी ( स्कंद. ३.२.३८ ) । आमहासुर- कश्यप एवं दनु का पुत्र । आमहीयव उरुक्षय देखिये ।
आमुष्यायण -- एक व्यास । व्यास देखिये | आमूर्तरजसय वा पैतृक नाम आंबरीष सिंधुद्वीप देखिये । आंबष्टय-पर्वत तथा नारद ने इसको राज्याभिषेक किया । इसके बाद इसने सारी पृथ्वी जीत कर अश्वमेध यज्ञ किया ( ऐ. बा. ८.२१ ) ।
आंबाज - आवेद के लिये पाठभेद । आंभृणी -- वाच् देखिये ।
आयति-- मेरु की कन्या, नियति की भगिनी तथा मातृ ऋषि की स्त्री।
२. (सो.) नहुष का पुत्र । ययाति का बंधु । आयवस—संभवतः यह नहुषों का शासक होगा। इस पराक्रमी राजा के तीन पुत्रों ने कक्षीवन को तंग किया ( १.१२२.१५) ।
भवाप्य वा आयास्य- अंगिरस गोत्र का मंत्रकार । आयु -- इंद्र ने वेश के लिये इसका पराभव किया था (ऋ. १०.४९.५ ) । इंद्र ने इसका पराभव किया, ऐसा बहुत स्थानों पर उल्लेख मिलता है (ऋ. २.१४. ७८.५२.२) तथापि आयु ने इंद्रकी प्रशंसा के लिये एक सूक्त रचा है (ऋ. ८.५२ ) । यह शब्द सामान्य तथा विशेष अर्थ में उपयोग में लाया गया है। कुत्स तथा अतिथिग्य के साथ इसका उल्लेख है।
(सो.) पुरूरवस् को उर्वशी से उत्पन्न पुत्रों में ज्येष्ठ (मा. ९.१५ १३ म. आ. ७० २२ ९०.७ हो. द्रो. ११९ ५ अनु. १४७१ वा. रा. उ. ५६१. १३९. ३: पद्म. सृ. १२. ८७ भू. १०३ ) | दत्तात्रेय
६१
आयु काण्य
के आश्रम में सौ वर्ष सेवा करने पर, दत्त ने इसे एक फल दिया। उसने अपनी स्त्री इंदुमती को वह फल खिलाया जिसके कारण वह गरोदर हुई तथा उसे नहुष नामक पुत्र हुआ। उसे हुड नामक दैत्य चुरा कर ले गया इसलिये, वह अपनी पत्नीसहित शोक करने लगा । नारद ने बताया कि, नहुष के द्वारा हुंड दैत्य मारा जायेगा तब वह स्वस्थ हुआ (पद्म. भू. १०३-१०८ ) । इसे स्वर्भानु की कन्या प्रभा नामक दूसरी स्त्री थी, जिससे नहुषादि पुत्र हुए ( भा. ९.१७.१; गरुड. १३९. ८; ब्रह्माण्ड ३.६७. १-२ ब्रह्म. ११ पद्म. पा. १२८७; ह. वं. १. २८ ) ।
आयु का वंशक्रम इस के पांच पुत्र-
--
·
१. नहुष, २. वृद्धशर्मन् (क्षत्रवृद्ध ), ३. रम्भ, ४. रजि ५ अनेनस् नहुष का ययाति पूरु आदि वंश प्रसिद्ध है । वृद्धशर्मन् का ही क्षत्रवृद्ध नाम है । उस का वंश काशि और काश्य नाम से प्रसिद्ध है। तीसरा रम्भ अनपत्य था । तथापि कई जगे उसका वंश मिलता है ( भा. ९.१७.१० ) । चौथा रजि उस को सौ पुत्र थे । वे इंद्र द्वारा नष्ट हो गये । अनेनस् का वंश स्वतंत्र रूप से उपलब्ध है (ह. वं. १.२९) ।
आयुपुत्र रजि वंश को राजेय कहा गया है ( वायु. ९२.७४–९९) ।
इसका वंश ऊपर दिये गये स्थानों में है । इसने छत्तीस हजार वर्ष राज्य किया (भवि. प्रति. १.१ ) । २. पौष माह में भग नामक आदित्य के साथ भ्रमण करने वाला ऋषि (भा. १२.११.४२ ) ।
३. कृष्ण को रोहिणी से उत्पन्न पुत्र ( भा. १०.६१. १७) |
४. अंगिरा तथा सुरूपा का पुत्र एक देव ( मत्स्य. १९६ ) ।
५. मंडूकों का एक प्रसिद्ध राजा ( म. व. १९०. २७ ) ।
६. प्राण नामक वसु एवं ऊर्जस्नती का पुत्र ( भा. ६. ६.१२ ) ।
७. (सो. कोहु.) पुरुहोत्र राजा का पुत्र । इसका पुत्र सात्वत (मा. १९२४.६ ) ।
८. धर्म तथा वसु का पुत्र इन्हें वैतंय, शम, शांत सनत्कुमार एवं स्कंद ये पुत्र थे (ब्रह्माण्ड २.२.२१२९) ।
आयु काण्च सूक्तद्रष्टा (८.५२ ) ।