Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिकाटोका श०१ उ०७ सू०४ गर्भस्वरूपनिरूपणम्
१३९ भगवानाह—'गोयमा ' इत्यादि । 'गोयमा' हे गौतम ! 'सिय सइंदिए वकमइ सिय अणिदिए वक्कमइ' स्यात् सेन्द्रियो व्युत्क्रामति स्यादनिन्द्रियो व्युत्क्रामति उभावपि पक्षौ भवतः कदाचित् इन्द्रियविशिष्टोपि गर्भे समुत्पन्नो भवति जीन कदाचिदिन्द्रियराहित्येनाप्युत्पद्यते गर्भे जीवः । ' से केणढणं' तल्केनार्थेन हेभदन्त ! तत्केन कारणेन एवमुच्यते, यदिन्द्रियविशिष्टोप्युत्पद्यते इन्द्रियरहितोप्युत्पद्यते ? इति भावः, भगवानाह-गोयमा ' इत्यादि । 'गोयमा' हे गौतम ! 'द्रबिदियाई द्रव्येन्द्रियाणि निवृत्युपकरणलक्षणानि पहुच्च' प्रतीत्य-द्रव्येन्द्रियापेक्षयेत्यर्थः 'अणिदिए वक्कमइ ' अनिन्द्रियो व्युत्क्रामति समुत्पद्यते, द्रव्येन्द्रियाणि इन्द्रियपर्याप्तौ सत्यामेव भविष्यन्तीत्यतो सर्भे समागच्छन् अनिन्द्रिय एव जीव उत्पद्यते तदानीं द्रव्येन्द्रियस्याभावात् 'भाबिंदियाई' भावेन्द्रियाणि लब्ध्युपयोगलक्षणानि 'पडुच्च' प्रतीत्य आसाये चर्थः, 'सइंदिए वकमह' होती हैं ? इस का उत्तर देते हुए भगवान् कहते हैं कि (गोयमा ! सिय सइदिए वक्कमइ, सिय अर्णिदिए वक्कमइ ) हे गौतम ! जीव इन्द्रिय सहित भी उत्पन्न होता है और इन्द्रिय विना का भी होता है । इस तरह दोनों पक्ष मान्य हुए हैं। किसी अपेक्षा से इन्द्रियविशिष्ट भी उत्पन्न होता है और किसी अपेक्षा से इन्द्रिय विना का भी उत्पन्न होता है । (से केणटेणं) हे भदन्त ! आप ऐसा किस कारण से कहते हैं कि इन्द्रिय सहित भी जीव गर्भ में उत्पन्न होता है और इन्द्रिय विना का भी जीव गर्भ में उत्पन्न होता है (गोयमा! दबिदियाइं पड्डुच्च, अणिदिए वक्कमइ, भाबिंदियाइं पडुच्च सइंदिए वक्कमइ से तेण?ण०) हे गौतम ! द्रव्येन्द्रियों के अपेक्षा करके जीव गर्भ में विना इन्द्रियों का उत्पन्न होता है और भावइन्द्रियों की अपेक्षा करके जीव गर्भ में ____उत्त२-" गोयमा! सिय सइंदिए वक्कमइ, सिय अणि दिए वक्कमइ” है ગૌતમ! જીવ ગર્ભમાં ઇન્દ્રિય સહિત પણ ઉત્પન્ન થાય છે અને ઇન્દ્રિય વિના પણ ઉત્પન્ન થાય છે. આ રીતે બને પક્ષને સ્વીકાર કર્યો છે.
प्रश्न-' से केणद्वेणं ध्याह" उ लगवन् ! मा५ ॥ २णे मे ४ છે કે જીવ ગર્ભમાં ઈન્દ્રિયસહિત પણ ઉત્પન્ન થાય છે અને ઇન્દ્રિય વિના પણ ઉત્પન્ન થાય છે?
उत्तर-“ गोयमा! दविदियाइं पडुच्च, अणिदिए वकमइ, भावि दियाई पडुच्च सइंदिए वक्कमइ से तेणद्वेणं' हे गौतम! द्रव्येन्द्रियानी अपेक्षा ७१
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨