Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवतीसूत्रे ' से तेणटेणं ' तत्तेनार्थेन, तेन कारणेन ‘जाव नो पभू मुहेणं कावलियं आहारं आहरित्तए ' यावत् नो प्रभुः मुखेन कावलिकमाहारमाहर्तुम् , अत्र यावत्पदेन-' हे गौतम ! एवमुच्यते जीवः खलु गर्भगतः सन् ' इति संग्रहः। पूर्वोक्त कारणेन गर्भगतो जीवो मुखेन कावलिकमाहारं कत्तुं न समर्थ इति । ___ गर्भाधिकारादेव गर्भगत जीवस्याङ्गविषये प्राह-'कइ णं भंते' इत्यादि। 'कइ भंते' कति खलु भदन्त ! माइ अंगा पन्नत्ता' मात्रंगानि प्रज्ञप्तानि, भगवानाह–' गोयमा' इत्यादि । ‘गोयमा' हे गौतम ! 'तओ माइयंगा पन्नत्ता' त्रिणि मात्रङ्गानि प्रज्ञप्तानि 'तं जहा' तद्यथा-'मंसं सोणिएमत्थुलुंगे' मांसं शोणितं मस्तुलुगम्-मस्तुलुङ्गं मस्तिकं मस्तकान्तःस्थितस्निग्धपदार्थ विशेषः 'भेजा' इति प्रसिद्धम्, 'कई णं भंते पिइयंगा पन्नत्ता' कति खलु भदन्त ! पित्रङ्गानि प्रज्ञप्तानि, भगवानाह-'गोयमे ' त्यादि, 'गोयमा' हे गौतम! तओ पिइयंगा पन्नत्ता' त्रीणि पित्रङ्गानि प्रज्ञप्तानि 'तं जहा' तद्यथा-'अहि अहि___ पुत्र की नाभि में और माता के हृदय में नाड़ी संबंधित है । इसी नाड़ी से गर्भगत जीव कुल्यासे खेतमें पानी पहुंचने के स्थानरूप नाली से कैदार (क्यारा ) की तरह पुष्ट होता रहता है ॥१॥ - (से तेणटेणं० ) इस कारण हे गौतम ! मैं ऐसा कहता हूं कि (जाव नोपभू मुहेणं कावलियं आहरं आहरित्तए) गर्भगतजीव मुख से कवलरूप आहारको लेने के किये समर्थ नहीं है।
गर्भ का अधिकार होने से ही सूत्रकार अब गर्भगत जीव के अंग के विषय में प्रश्नोत्तरपूर्वक सूत्र कहते हैं-(कइ णं भंते ! माइअंगा पन्नत्ता) हे भदन्त ! माता के अंग कितने कहे गये हैं ? (गोयमा ! तओ माइ अंगा पन्नत्ता,तं जहा मंसे, सोगिए, मत्थुलुंगे ) हे गौतम ! माता के अंग
___ (से तेणद्वेणं०) ॐ गौतम! ते २णे हुँ मे ४९ छु है ( जाव नो पभ् मुहेणं कावालियं आहारं अहारित्तए) शलभा २७ ०१ भुप 43 ४१લાહાર લેવાને સમર્થ રહેતો નથી.
ગર્ભને અધિકાર ચાલતું હોવાથી હવે સૂત્રકાર ગર્ભમાં રહેલ જીવનાં भान विषयमा प्रश्नोत्तर ५४ सूत्र ४ छ-( कइ णं भंते ! माइअंगा पन्नत्ता) 3 भगवन् ! ममा २९८ मां मातानi
A i डाय छ ? ( गोयमा ! तओ माइअंगा पन्नत्ता-तं जहा-मंसे, सोणिए, मत्थुलु'गे) गौतम! भातानi ay म तेन डाय छ-(१) मांस, (२) त, (२धि२) मने (3) भा०४. (कइ णं भंते ! पिइअंगा पन्नत्ता ? ) मावन ते सपने पिता सi भनय छ(गोयमा ! तओ पिइअंगा पन्नत्ता ) 3 गौतम ! ते अपने
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨