Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
भगवतीसूत्रे मूलम्-से गूणं भंते ! मन्नामि इति ओहारिणी भासा एवं भासापदं भाणियव्वं ॥ सू० १॥
छाया-तत् खलु नूनं भदन्त ! मन्ये इति अवधारिणी भाषा एवं भाषापदं भणितव्यम् ॥ सू० १३ ॥
टीका-" से णूण भंते ” अथ नूनं खलु भदन्त ! अत्र 'से' शब्दः अथ शब्दवाचकः स च वाक्यप्रारम्भबोधकः, नूनमिति पदम् उपमानाऽवधारणतर्कप्रश्नहेतुषु अर्थेषु विद्यते तदिह नूनं शब्दोऽवधारणेऽर्थे विद्यते 'भंते' इतिपदम् इस छठे उद्देशक का यह प्रथम सूत्र है-( से गूणं भंते ) इत्यादि।
सूत्रार्थ-( से जूणं भंते ! मन्नामि इति ओहारिणी भासा) हे भदन्त ! ( मैं ऐसा मानता हूं) यह भाषा अवधारिणी भाषा है क्या ? ( एवं भासापदं भाणियन्वं ) इस प्रकार इसके जानने के लिये प्रज्ञापना के भाषापद को कहना चाहिये। ____टीकार्थ-जिसके द्वारा अर्थ का बोध होता है वह भाषा है । तात्प. र्य कहने का यह है कि पदार्थविषयक ज्ञान जिस के द्वारा उत्पन्न होता है-पदार्थ के ज्ञान कराने में जो कारण होती है वह भाषा है । शब्दार्थ विषयक ज्ञान भाषा से ही उत्पन्न होता है तथा लोक व्यवहार भी भाषा से ही चलता है (भाष्यते इति भाषा) जो बोली जावे वह भाषा है। शब्द रूप से परिणमित हुई तथा शब्दरूप से बाहर निकाली जो
રને સંબંધ છે, આ સંબંધપૂર્વકના આ છઠા ઉદ્દેશકનું પહેલું સૂત્ર આ प्रभाए छ-" से पूणं भंते ! त्यादि।
सूत्रार्थ -( से णूण भते ! मन्नामि इति ओहारिणी भासा ) 3 महन्त!
व भानु छु,” ममापा मारिणी भाषा छ? ( एवं भासापद भाणियव्व) २विषयने onegat भाटे प्रज्ञापनासूत्रनु भाषा५४ ४ २ ,
ટીકાર્થ–જેના દ્વારા અર્થને બંધ થાય તે ભાષા છે, કહેવાનું તાત્પર્ય એ છે કે પદાર્થ વિષેનું જ્ઞાન જેના દ્વારા ઉત્પન્ન થાય છે–પદાર્થનું જ્ઞાન કર વવામં જે મદદરૂપ થાય છે અને ભાષા છે, શબ્દાર્થ વિષયક જ્ઞાન ભાષા દ્વારા थाय छ तथा व्यवहा२ ५५ लाषाथी ०४ या छ-(भाष्यते इति भाषा) બોલવામાં આવે છે તે ભાષા છે, શબ્દ રૂપે પરિણમિત થયેલી તથા શબ્દ રૂપે બહાર વ્યાસ જે દ્રવ્યસંહતિ છે તેનું નામ ભાષા છે, આ તેને પદાર્થ
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨