Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 1097
________________ प्रमेयचन्द्रिका टीश०२७०१०सू०५ धर्मास्तिकायादिनां प्रमाणादिनिरूपणम् १०८३ स्पृशति तिर्यग्लोकः खलु भदन्त! पृच्छा? गौतम ! असंख्येयभागं स्पृशति । ऊर्ध्वलोकः खल्लु भदन्त ! पृच्छा? गौतम ! देशोनमध स्पृशति इयं खलु भदन्त ! रत्नप्रभा पृथिवी धर्मास्तिकायस्य किं संख्येयभाग स्पृशति असंख्येयभागं स्पृशति संख्येयान् भागान् स्पृशति असंख्येयान् भागान् स्पृशति सर्व स्पृशति ? गौतम ! नो संख्येयभागं भाग का स्पर्श करता है । (तिरियलोए णं भंते ! पुच्छा) हे भदन्त ! तिर्यग् लोक धर्मास्तिकाय के कितने भाग का स्पर्श करता है ? (गोयमा! असंखेजहभागं फुसइ) हे गौतम! तिर्यग लोक धर्मास्तिकाय के असंख्यातवें भाग का स्पर्श करता है । ( उड़े लोए णं भंते ! पुच्छा ) हे भदन्त ! उर्ध्वलोन धर्मास्तिकाय के कितने भाग का स्पर्श करता है ? (गोयमा ) हे गौतम ! उर्ध्वलोक धर्मास्तिकाय के ( देसूणं अद्धं फुसइ) कुछ कम आधे भाग का स्पर्श करता है। (इमा णं भंते ! रयणप्पभा पुढवी धम्मत्थिकायम्स किं संखेज्जइभागं फुसइ, असंखेज्जइभागं फुसइ, संखेज्जे भागे फुसइ, असंखेज्जे भागे फुसइ, सव्वं फुसइ) हे भदन्त ! यह जो रत्नप्रभा नामकी पृथिवी है वह धर्मास्तिकाय के संख्यातवें भाग का स्पर्श करती है, कि असंख्यातवें भाग का स्पर्श करती है ? अथवा उसके संख्यातभागों का स्पर्श करती है या असंख्यातभागों का स्पर्श करती है ? अथवा कि समस्त पूरे का स्पर्श करती है ? (गोयमा !) हे गौतम ! (णो संखजाइभागं फुसह ४रे छ.(तिरियलोए णं भंते ! पुच्छा) 3 महन्त ! मघा स्तियना है मान! २५ ४२ छ १ (गोयमा !) गौतम ! (असंखेज्जइभोगं फुसइ) तिय's धर्मास्तियन मध्यातमा भागने २५0 2. (उड्ढेलोए णं भंते ! पुच्छा) हे Herd! sarals भास्तियनn eau nो २५५ रे छे ? (गोयमा) गौतम ! ( देसूणं अद्धं फुसइ) saas तेना म ४२di छ। भागना १५A 3रे छे. ( इमाणं भंते ! रयणप्पभापुढवी धम्मस्थिकायस्स किं संखेजइभाग फुसइ, असंखेज्जइभागं फुसइ, संखज्जे भागे फुसइ, असंखजे भागे फुसह, सव्वं फुसइ १ ) 3 Add! २त्नIAL Yी यास्तियना सध्यातमा साना સ્પર્શ કરે છે, કે અસંખ્યાતમાં ભાગને સ્પર્શ કરે છે, કે તેના સંખ્યાત ભાગને સ્પર્શ કરે છે, તેના અસંખ્યાત ભાગને સ્પર્શ કરે છે, કે સમસ્ત मास २५ ४२ छ १ ( गोयमा ! ) 3 गौतम ! ( णो संखेज्जइ भाग फुसइ, શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨

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