Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 1077
________________ मेयचन्द्रिका टी० ० २ ० १० सू. ४ आकाशस्वरूपनिरूपणम् १०६३ देशास्ते नियमात् एकेन्द्रियप्रदेशाः यावदनिन्द्रियप्रदेशाः ये अजीवास्ते द्विविधाः मज्ञताः तद्यथा रूपिणश्वारूपिणश्च ये रूपिणस्ते चतुर्विधाः प्रज्ञप्तास्तद्यथा स्क धाः स्कन्धदेशाः स्कन्धप्रदेशाः परमाणुपुद्गलाः येऽपि अरूपिणस्ते पञ्चविधाः प्रज्ञताः तद्यथा धर्मास्तिकायो नो धर्मास्तिकायस्य देशः धर्मास्तिकायस्य प्रदेशाः अधर्मास्तिकायानोऽधर्मास्तिकायस्य देशः अधर्मास्तिकायस्य प्रदेशाः अद्धासमयः॥ गिदियदेसा) लोकाकाश में जो जीव के देश हैं वे नियम से एकेन्द्रिय जीव के देश हैं (जाव अणिदिय देसा) यवत् इन्द्रिय विना के जीच के देश हैं। (जे अजीवा ते दुबिहा पण्णता) लोकाकाश में जो अजीव हैं वे दो प्रकार के कहे गये हैं-(तंजहा) जैसे-(रूवि य अरू वि य) एकरूपी अजीव और दूसरा अरूपी अजीव । (जे स्वी ते चउम्विहा पण्णता) जो रूपी अजीव हैं वे चार प्रकार के कहे गये हैं (तंजहा) जैसे-(खंधा, खंधदेसा, खंधपएसा, परमाणुपोग्गला) स्कंध, स्कंधदेश, स्कन्धप्रदेश और परमाणुपुद्गल (जे अख्वी ते पंचविहा पण्णता) तथा-जा अरूपी अजीव हैं वे पांच प्रकार के कहे गये हैं-(तंजहा) जैसे (धम्मस्थिकाए, नो धम्मत्थिकायस्म देसे, धम्मत्थिकायस्स पएसा, अधम्मत्थिकाए नो अधम्मस्थिकायस्स देसे, अधम्मस्थिकायस्स पएसा, अद्धासमये) धर्मास्तिकाय है, धर्मास्तिकाय का देश नहीं हैं, धर्मास्तिकाय के प्रदेश हैं, अधर्मास्तिकाय है, अधर्मास्तिकाय का प्रदेश नहीं है, अधर्मास्तिकाय शमा २ हेश छ नियमयी मेन्द्रिय ना देश छ, (जाव अणिदिय देसा) भने बीन्द्रययी एन निन्द्रिय ७१ पर्यन्तनाश छे. (जे अजीवा ते दुविहा पण्णता) शभा २ म छत मारना yu छ. (तंजहा) तो प्रकारे। मा प्रमाणे छे-(वी य अहवी य) (१) ३पी म०१ (२) १३पी ७१. (जे रुवी ते चउम्विही पण्णचा) ३पी सपना थार २४ा छे. (तंजहा) ते यार २ मा प्रभाव छ- (खधा, खधदेसा, खंधपएसा, परमाणुपोग्गला ) (१) २४५, (२) २४ घडेश, (3)२४ प्रदेश मन (४) ५२॥ पुरस. (जे अरूवी ते पंचविहा पण्णत्ता) २५३पी म0पना पांय २ ४॥ छ. ( तंजहा) ते भारी मा प्रभारी छ (धम्मत्यिकाए, नो धम्मत्थिकायस्स देसे धम्मस्थिकायस्स पएमा, अधम्मस्थिकाए नो अधक्ष्मस्थिकायस्स देसे, अधम्मत्थिकाय स्स पएसा, अद्धा समये) (१) यस्ताय छे पस्तियन देश नथी, (२) ધર્માસ્તિકાયના પ્રદેશ છે (૩) અધર્માસ્તિકાય છે- અધર્માસ્તિકાયને દેશ નથી (४) मास्तियना प्रदेश छ भने (५) गद्धा समय छे. શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨

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