Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवतीसरे समय वीइकंतं च णं कडा किरिया दुक्खा,सा किं करणी दुक्खा अकरणओ दुक्खा, अकरणओणं सा दुक्खा, नोखल्लु सा करणओ दुक्खा, सेवं वत्तव्वं सिया। अकिञ्चं दुक्खं अफुसं दुक्खं, अकज्जमाणकडं दुक्खं, अकटु अक? पाणभूयजीवसत्तावेयणं वेदोंति, इति वत्तव्वं सिया, से कहमेयं भंते एवं० ॥ सू० १ ॥
छाया-अन्ययूथिकाः खलु भदन्त ! एवमाख्यान्ति यावदेवं प्ररूपयंति, एवं खलु चलमानमचलितम् यावत् निजीणमाणमनिजीणम् , द्वौ परमाणुपुद्गलौ एकतो न संहन्येते, कस्माद् द्वौ परमाणुपुद्गलौ एकतो न संहन्येते, द्वयोः परमाणुपुद्गलयोर्नास्ति स्नेहकायः तस्मात् द्वौ परमाणुपुद्गलौ एकतो न संहन्येते, त्रयः परमाणुपुद्गला एकतः संहन्यन्ते, कस्मात् त्रयः परमाणुपुद्गला एकतः संहन्यन्ते,
सूत्रार्थ-(भंते ) हे भदन्त ! ( अन्न उत्थिया णं) अन्यतीर्थिकजन ( एवं आइक्खति ) इस प्रकार से कहते हैं (जाव एवं परूवेंति) यावत् इस प्रकार से प्ररूपित करते हैं कि (चलमाणे अचलिए ) जो चल रहा है वह चलित नहीं कहाता है (जाव निजरिज्जमाणे अणिज्जिन्ने) यावत् जिसकी निर्जरा हो रही है वह निर्जीर्ण नहीं कहाता । (दो परमाणु पोग्गला एगयओ न साहणंति ) दो परमाणु पुद्गल एक स्कंध रूप में नहीं परिणमते हैं । ( दोण्हं परमाणुपोग्गलाणं नत्थि सिणेहकाए ( दो परमाणु पुद्गलों के स्नेहकाय नहीं होताहै । ( तम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयओ न साहणंति) इसलिये दो परमाणुपुद्गल एक स्कंधरूप में नहीं परिणमते हैं । (तिण्णि परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति) तीन पर
" अन्न उन्थियाणं भंते ! एवआइक्खंति " त्या.
सूत्राथ-(भंते!) भगवन् ! ( अन्नउत्थियाण ) अन्य तीथी ( एवं आइक्खंति ) म प्रमाणे ४३ (जाय एवं परूति) ( यावत् ) मा प्रभार ५३५॥ ४२ छ है (चलमाणे अचलिए ) 2 यादी २j छ तेने यसित (याली यूश्यु) ४ी आय नहीं (जाव निजरिज्जमाणे अणिज्जिन्ने) (यावत् )नी नि०२१ थ ही तेने नि डी शय नही. (दो पहमाणुपोग्गला एगयो न साहणंति) मे ५२मा पुद्दा मे २४५३२ परिमता नथी, ( दाण्हं परमाणु पोग्गलाणं नत्थि सिणेहकाए) ले ५२मा पुरतामा स्नायन! अलावाय छ. (तम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयओ न साहणंति ) तेथी मे ५२मा पुरता
२४५३ परिशुभता नथी. (तिण्णि परमाणुपोम्गला एगयओ साहणति)
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨