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प्रश्नों के उत्तर
३८८ : mariamman जीवों में चार प्राण पाए जाते हैं और पशु-पक्षी में दस ही प्राण पाए जाते हैं। इस तरह इन्द्रिय एवं प्राणों की दृष्टि से भी पञ्चेन्द्रिय की हिंसा महाहिंसा है । जैसे एक व्यक्ति राजा को मारता है और दूसरा किसी साधारण व्यक्ति को तलवार के घाट उतारता है। कानून की. दृष्टि से अपराधी तो दोनों ही है, फिर भी दोनों के दंड में अन्तर.. रहता है। राजा की हत्या साधारण व्यक्ति की अपेक्षा अधिक गुरुतर समझी जाती है । कारण स्पष्ट है कि राजा देश का प्रधान है, देश की सर्वोपरि शक्ति है; अत; उसे समाप्त करने के लिए उतनी ही... अधिक विनाशक शक्ति यां छल-कपट एवं क्रूरता का संग्रह करना पड़ता है। परन्तु साधारण व्यक्ति के प्राण लेने में उतनी तैयारी नहीं :
करनी पड़ती। इसो क्रूरता एवं विनाशक शक्ति का अन्तर ही उनके : ___दण्ड के अन्तर का कारण है । साथ में यह भी दृष्टि रही हुई है कि
राजा का नाश देश का बहुत बड़ा नुकसान है। इसी तरह पशु-पक्षी : , एवं इन्सान भी प्रकृति के शक्ति-संपन्न प्राणी हैं। शाक-सब्जी की । अपेक्षा इनके पास इन्द्रिय एवं प्राणों की शक्ति अधिक हैं । अतः उसें. लूटने के लिए अधिक क्रूरता का प्राना स्वाभाविक है । और जहां क्रूरता अधिक होती है, वहीं पाप बन्ध अधिक होता ही हैं, यह हम पहले वता हो चुके हैं। अतः इस दृष्टि से भी पशु-पक्षी की हिंसा... महान है, उससे बचना मानव का सर्वप्रथम धर्म है। ........
... हिंसा और अहिंसा की अधिकता एवं न्यूनता का हिसाब जीवों .. । मृत्यु को प्राप्त हो जाता है, उसे प्राण कहते हैं। उनकी संख्या दस है । जैसेकि-..
१-श्रोत्रं इन्द्रिय वल-प्राण,२-चक्षुः इन्द्रिय वल-प्राण; ३.घाण इन्द्रिय बल-प्राण, . ४-रस इन्द्रिय बल-प्राण,५-स्पर्श इन्द्रिय वल-प्राण,६-मन वल-प्राण,७-वचन-बल. ..... प्राण,८-काया बलप्राण,९-आयुष्य बलप्राण और १०-श्वासोच्छ वासवलप्राण ।