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प्रश्नों के उत्तर यों में जितनी अधिक तीव्रता होगी, पात्मा के गुणों को ग्रावृत्त करने वाले कर्म भी उतने ही अधिक गहरे होंगे और जितनी अधिक मन्दता होगी उतना ही अधिक कर्म का आवरण हल्का होगा। और यह हम प्रत्यक्ष में देखते हैं कि शाक-सब्ज़ा का इस्तेमाल करते समय भावों.. में, विचारों में क्रूरता नहीं रहती। परन्तु पशु-पक्षी का वध करते ... समय क्रूरता स्पष्ट दिखाई देती है। जितने बड़े प्राणी को मारने का । प्रयत्न करते हैं, उतनी ही अधिक क्रूरता बढ़ती है और जहां क्रूरता का आधिक्य होता है, वहां पाप कर्म का वन्ध भी प्रगाढ़ होता है।. अतः पशु-पक्षी की हिंसा महारंभ एवं प्रगाढ़ पाप वन्ध का कारण है। यह हम पीछे बता चुके हैं कि नरकायुष्य बन्ध के चार कारणों में ... मांसाहार को भी एक कारण बताया गया है। क्योंकि मांसाहार. महा- .... रंभ से प्राप्त होता है, अतः विवेकशील मनुष्य के लिए यह सर्वथा .... त्याज्य है। . .. .. ... . .. .. . . :शाकाहार एवं मांसाहार में एक बहुत बड़ा अन्तर यह है कि .. एक प्रावी है और दूसरा पेशाबी । आव पानी को कहते हैं, अतः पानी के बरसने एवं सींचने पर जिस शाक-सब्जी-अन्न आदि की.
उत्पत्ति होती है, उसे आवी कहते है और पशु-पक्षी आदि जिन जीवों '. का जन्म मैथुन क्रिया से होता है उन्हें पेशाबी कहते हैं । अर्थात् स्त्रो-...
- पुरुष के रज एवं वीर्य के मिलने से पैदा होने वाले प्राणियों को . पेशावी कहते हैं । इस तरह दोनों की उत्पत्ति के अनुरूप भावों में . .
अन्तर आ जाता है । पृथ्वी. में बीज बो देते हैं और वह बीज अनुकूल . .
हवा. 'पानी, प्रकाश एवं खाद के मिलने पर अंकुरित, पल्लवित,पुष्पित ' ... .. एवं फलित होकर लहर-लहर कर लहराने लगता है.। जव खेत एवं . ..उद्यान फलते-फूलते हैं तो उनके आस-पास की प्रकृति में उनकी सौ-...
म्यता प्रतिविम्बत हो उठती है, चारों तरफ का वातावरण हरा भराः .